जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार की रात हुए हमले पूर्व नियोजित थे, सोची समझी रणनीति के तहत किए गए थे और इसके पीछे कट्टर दक्षिणपंथी छात्र संगठन के लोग थे। सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म वॉट्सऐप पर छह लोगों के मैसेज देखने से यह बात साफ़ हो जाती है।
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'देशद्रोहियों को बुरी तरह पीटें'
अंग्रेज़ी अख़बार इंडियन एक्सप्रेस ने इन छह लोगों के वॉट्सऐप मैसेज को पढ़ा और उन लोगों से बात की। जेएनयू परिसर के होस्टलों में घुस कर लड़के-लड़कियों को बुरी तरह पीटने की वारदात के कुछ घंटे पहले इन वॉट्सऐप मैसेज में लोगों से अपील की गई है कि वे इस विश्वविद्यालय के ‘देशद्रोहियों को बुरी तरह पीटें।’बाद में मारपीट पर खुशी जताई गई है और उसे उचित ठहराते हुए कहा गया है कि ‘सालों ने गंध मचा रखी थी’ और यह भी कि ‘अब नहीं मारते तो कब मारते?’
वॉट्सऐप ग्रुप ‘लेफ़्ट टेरर डाउन डाउन’ में किसी ने लिखा, ‘आज जेएनयू में बहुत मजा आया। मजा आ गया, इन सालों, देशद्रोहियों को मार के।’
'हमने जेएनयू में बहुत मजे किए'
इंडियन एक्सप्रेस ने जब उससे संपर्क किया तो उसने कहा, ‘मैं हरियाणा से हूं, कॉलेज में पढ़ता हूं। हम में से कुछ लोगों ने बहुत मजे किए। फिर हमने जेएनयू के लेफ़्ट टेरर पर एक मीडिया पोर्टल को देखा। मेरे दोस्त ने मेरा फ़ोन ले लिया, उसने उस ग्रुप को ज्वाइन कर लिया और पोस्ट किया। मैंने उसे डाँटा। मैं राजनीतिक रूप से जागरूक नहीं हूं, इसलिए मुझे नहीं पता कि जेएनयू के छात्र राष्ट-विरोधी हैं या नहीं।’एक दूसरे आदमी ने वॉट्सऐप पर पोस्ट किया, ‘सालों को होस्टल में घुस कर तोड़े।’ संपर्क किए जाने पर उसने कहा कि वह नोएडा में रहता है। उसने कहा, ‘तुम्हें मेरा नंबर किसने दिया, फ़ोन काटो।’ उसके बाद उसने फ़ोन कनेक्शन काट दिया।
एक दूसरे आदमी ने वॉट्सऐप पर मैसेज पोस्ट किया, ‘बिल्कुल! एक बार ठीक से आर-पार करने की ज़रूरत है, अभी नहीं मारेंगे सालों को तो कब मारेंगे। गंध मचा रखी है साले कॉमियो ने।’
'हाँ! मैं एबीवीपी से हूँ'
इंडियन एक्सप्रेस ने उससे संपर्क किया। उसने कहा, ‘मैं जेएनयू का छात्र हूँ और स्कूल ऑफ़ इंटरनेशनल स्टडीज़ में पीएच. डी. कर रहा हूँ। हाँ, मैं अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से हूँ। पत्रकार जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय की छवि खराब कर रहे हैं।’ बाद में उसने कहा, ‘मैं जेएनयू से हूँ, मैंने पोस्ट नहीं किया है। किसी और ने मेरे नंबर का दुरुपयोग किया है।’एक दूसरा आदमी जिस वॉट्सऐप ग्रुप में था, उसका नाम था, ‘यूनिटी अगेन्स्ट लेफ़्ट’। उसने कहा, ‘मैं यहाँ परिसर में हिंसा मचाने की योजना का पता लगाने आया हूँ।’
उसने कहा, ‘मैं इस समय एम्स ट्रॉमा सेंटर में हूँ। मैं जेएनयू से नहीं हूँ, पर अपने साथियों के साथ हूँ। मैं जानकारियाँ एकत्रित करने के लिए ग्रुप में आया, पर बाद में उन्होंने मुझे निकाल दिया। इस ग्रुप का लिंक किसी और ने शेयर किया।’
बता दें कि जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में रविवार शाम को हिंसा भड़क गई। दर्जनों नकाबपोश लोगों ने कैंपस में छात्रों और अध्यापकों पर हमला कर दिया। इसमें विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष गंभीर रूप से घायल हो गईं।प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार क़रीब 50 गुंडे कैंपस में घुसे और तोड़फोड़ करने लगे। उन्होंने कारों में तोड़फोड़ की और लोगों पर हमले भी किए। छात्रसंघ अध्यक्ष आइशी घोष ने कहा कि 'मास्क पहने गुंडों द्वारा मुझ पर घातक हमला किया गया। मेरी बुरी तरह पिटाई की गई।' घटना के बार छात्रसंघ ने एबीवीपी पर हिंसा करने का आरोप लगाया है, जबकि एबीवीपी ने कहा है कि इसके सदस्यों पर वामपंथी छात्रों ने हमला किया है।
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