वाशिंगटन पोस्ट को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि भारत में मतदान के लिए या किसी अन्य उद्देश्य के लिए 21 मिलियन डॉलर (180 करोड़) खर्च किए जाने थे। क्षेत्रीय सहायता कार्यक्रमों की जानकारी रखने वाले तीन लोगों ने नाम न बताने की शर्त पर इस दावे पर हैरानी जताई - और चिंता जताई कि इससे भारत की दक्षिणपंथी सरकार को सिविल सोसायटी को और कमजोर करने की कोशिशों को मजबूती मिलेगी।
कंसोर्टियम फॉर इलेक्शन्स एंड पॉलिटिकल प्रोसेस स्ट्रेंथनिंग (CEPPS) के अधिकारियों ने बताया कि डॉग के विवरण से मेल खाने वाले ग्रांट का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हमारे पास $21 मिलियन का अनुबंध था — लेकिन वो भारत के लिए नहीं, बल्कि पड़ोसी देश बांग्लादेश के लिए था।
वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है- यह गलत दावा बीजेपी के उस लंबे समय से चले आ रहे नैरेटिव के साथ मेल खाता है कि अमेरिका सहित विदेशी ताकतें मोदी सरकार को कमजोर करने और घरेलू मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए काम कर रही हैं। एक्स और अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर, प्रधानमंत्री के कुछ दक्षिणपंथी समर्थकों ने सोशल इन्वेस्टर जॉर्ज सोरोस और "डीप स्टेट" की साजिश के सिद्धांत फैलाए हैं। जो ट्रम्प और उनके राजनीतिक सहयोगियों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को दर्शाता है।
कहानी में नया मोड़
भारत में इंडियन एक्सप्रेस की जब रिपोर्ट आ गई तो बीजेपी ने कोई अधिकृत प्रतिक्रिया नहीं दी। अलबत्ता बीजेपी आईटी सेल के अमित मालवीय ने ट्रम्प के बयान का वीडियो ट्वीट किया और कहा कि "अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत में मतदाता भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए यूएसएड फंडिंग के प्रयासों के बारे में अपने दावे को दोहराया... लेकिन उन्हें अपने देश के खर्च के बारे में क्या पता? इंडियन एक्सप्रेस और उन्मादी वामपंथी सोचते हैं कि वे बेहतर जानते हैं!"For the third day in a row, US President Donald Trump reiterates his claim about USAID funding efforts to promote voter turnout in India. He says, “We’re giving $21 million for voter turnout in India. What about us? I want voter turnout too.”
— Amit Malviya (@amitmalviya) February 22, 2025
But what does he know about his own… pic.twitter.com/VTch3lr21r
ट्रम्प ने कहा- "21 मिलियन डॉलर मेरे दोस्त प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को मतदाता भागीदारी के लिए जा रहे हैं। हम भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर दे रहे हैं। हमारे लिए क्या? मैं भी मतदाता भागीदारी चाहता हूं।" यानी ट्रम्प ये कह रहे हैं कि 21 मिलियन डॉलर भारत में मोदी सरकार को जा रहे हैं। इससे अमेरिका को क्या फायदा है। अमेरिका भी ऐसी ही मतदाता भागीदारी के लिए फंड चाहता है। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने फौरन इस पर प्रतिक्रिया देते हुए भक्तों को इसे सुनने के लिए कहा।
यह मेरे सहयोगी पवन खेड़ा (@Pawankhera) द्वारा USAID मुद्दे पर जारी किया गया बयान है। USAID के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति और भाजपा ने बेशर्मी से झूठ बोला है। वाशिंगटन डीसी में प्रधानमंत्री के अच्छे मित्र द्वारा इस मुद्दे को लगातार खबरों में बनाए रखा जा रहा है। pic.twitter.com/e02JY5P2at
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) February 22, 2025
ट्रम्प ने शुक्रवार को रिपब्लिकन गवर्नर्स कॉन्फ्रेंस में आरोप को दोहराया था। इस बार फंडिंग को उन्होंने "रिश्वत योजना" करार दिया। उनके शब्द थे- "भारत में मतदाता भागीदारी के लिए 21 मिलियन डॉलर। हम भारत की भागीदारी की परवाह क्यों कर रहे हैं? हमारे पास पर्याप्त समस्याएं हैं... यह एक रिश्वत योजना है, आप जानते हैं।"
ट्रम्प के दावे के चार दिन बाद सरकार ने इस मुद्दे पर अपनी चुप्पी तोड़ी और आरोपों को "बेहद परेशान करने वाला" बताया। विदेश मंत्रालय ने भारत के आंतरिक मामलों में विदेशी हस्तक्षेप को लेकर चिंता व्यक्त की। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शुक्रवार को कहा- "भारत में कई विभाग और एजेंसियां यूएसएड के साथ काम करती हैं। ये सभी मंत्रालय और एजेंसियां अब इस पर ध्यान दे रही हैं।"
लेकिन जैसा वाशिंगटन पोस्ट ने लिखा है कि बीजेपी ट्रम्प के बयानों के जरिये भारत में विपक्षी दल कांग्रेस के खिलाफ एक नैरेटिव बनाने में लगी है। मानवाधिकार कार्यकर्ता हर्ष मंदर, जिनकी भारत सरकार 2021 से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में जांच कर रही है, ने वाशिंगटन पोस्ट से कहा कि ट्रम्प प्रशासन मोदी को सिविल सोसायटी के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए "मौका" दे रहा है, जिसे उन्होंने भारत की "प्रतिरोध की अंतिम सीमा" बताया। उन्होंने कहा- "हमारे देशों में स्वतंत्र नागरिक आवाजों को कमजोर करना दक्षिणपंथियों का एक सामूहिक प्रोजेक्ट है। यह बुडापेस्ट से लेकर वाशिंगटन, डी.सी. और नई दिल्ली तक फैला हुआ एक सामूहिक प्रोजेक्ट है।"
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