अमेरिका की एफबीआई, पेंटागन जैसी एजेंसियों ने अपने स्टाफ से कहा कि वे DOGE प्रमुख एलन मस्क के ईमेल का जवाब न दें कि उन्होंने पिछले सप्ताह क्या किया। इस बीच ट्रम्प प्रशासन यूएसएड में 1,600 नौकरियों को खत्म कर रहा है। अमेरिका में सरकारी कर्मचारियों ने मुकदमे की धमकी दी है।
वाशिंगटन पोस्ट ने शनिवार को कहा कि उसे इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि भारत में मतदान बढ़ाने या किसी अन्य मकसद के लिए $21 मिलियन खर्च किए जाने थे। हालांकि ट्रम्प ने तीसरी बार अपने आरोप को दोहराते हुए उसमें पीएम मोदी का भी नाम लिया। लेकिन अब अमेरिकी अखबार ने तमाम बातों को झूठ पाया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने अब प्रधानमंत्री मोदी को भी यूएसएड फंड विवाद में घसीट लिया है। ट्रम्प ने मोदी का नाम लेते हुए भारत में मतदान के लिए यूएसएड द्वारा 21 मिलियन डॉलर (180 करोड़) फंड देने के प्रस्ताव का आरोप नई तरह से लगाया है। ट्रम्प ने उसी आरोप की कड़ी में मोदी का नाम क्यों लिया, जानियेः
यूएसएड से भारत के चुनाव को कथित तौर पर प्रभावित करने के लिए फंड पर सारे मामले का पर्दाफाश हो गया है। नये तथ्य सामने आये हैं कि 21 मिलियन डॉलर (180 करोड़ रुपये) फंड बांग्लादेश के लिए था। लेकिन इस पर जिस तरह से अमेरिका से लेकर भारत तक झूठ बोला गया, उससे जानना जरूरी है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अमेरिकी चुनाव फंडिंग और भारत की चुनावी प्रक्रियाओं के बीच एक विवादास्पद संबंध का सुझाव देने के बाद राजनीतिक ���गत में हलचल मच गई है। उनके बयान ने एक तीखी बहस को जन्म दिया है, जिससे हर कोई हैरान है: क्या इस दाव��� में कोई सच्चाई है?
भारत को यूएसएड (USAID) से मिलने वाली ग्रांट ट्रम्प सरकार के नये विभाग DOGE ने रोक दी। बीजेपी ने इस पर कांग्रेस पर निशाना साधा। लेकिन सच क्या है। इस अमेरिकी एजेंसी से नीति आयोग का क्या संबंध था। मोदी सरकार के मंत्रियों और उद्योगपतियों से क्या संबंध था।
यूएस राष्ट्रपति ट्रम्प ने भारत को 21 मिलियन डॉलर की अमेरिकी मदद रोकने के फैसले को सही ठहराया है। उनका कहना है कि वो मोदी की बहुत इज्जत करते हैं लेकिन भारत बहुत ज्यादा टैरिफ लगाता है। अमेरिका ने कई देशों की वित्तीय मदद रोक दी है।