यूक्रेन संकट के बीच रूस से एस-400 सौदे के लिए अमेरिकी प्रतिबंध का मुद्दा फिर उछला है। अमेरिका का बाइडेन प्रशासन इस पर विचार कर रहा है कि रूस से एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाए या नहीं। अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने बुधवार को यह बात कही। अमेरिका ऐसा प्रतिबंध काट्सा यानी काउंटरिंग अमेरिक़ाज एडवर्सरीज़ थ्रू सैंक्शन्स एक्ट' (सीएएटीएटीएसए) के तहत लगाता है।
अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू का यह बयान तब आया है जब यूक्रेन में रूसी हमले के ख़िलाफ़ अमेरिकी अभियान के समर्थन में भारत खड़ा नहीं दिखाई दे रहा है। बुधवार को ही भारत ने 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में उस प्रस्ताव में भाग नहीं लिया जिसने यूक्रेन के ख़िलाफ़ रूस की आक्रामकता की कड़ी निंदा की।
संयुक्त राष्ट्र की महासभा में इस निंदा प्रस्ताव के पक्ष में 141 वोट पड़े जबकि 5 विरोध में पड़े और 35 देशों ने खुद को अलग कर लिया। भारत भी इन 35 देशों में शामिल था। भारत के इस रूख के लिए अमेरिका के रिपब्लिकन और डेमोक्रैट दोनों दलों के सांसदों ने 'भारत के साथ अमेरिकी संबंध' पर चर्चा के दौरान आलोचना की। इसमें बार-बार यह सवाल उठा कि क्या एस-400 ट्रायम्फ मिसाइल रक्षा प्रणाली खरीदने के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाया जाए।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, इसी सवाल की प्रतिक्रिया में अमेरिकी राजनयिक डोनाल्ड लू ने कहा कि बाइडेन प्रशासन को अभी भी काट्सा के तहत इस पर फ़ैसला लेना बाक़ी है।
अमेरिकी राजनयिक ने कहा,
“
मैं जो कह सकता हूँ वह यह है कि भारत अब वास्तव में हमारा एक महत्वपूर्ण सुरक्षा भागीदार है और हम उस साझेदारी को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
डोनाल्ड लू, अमेरिकी राजनयिक
पिछले साल जनवरी में एस-400 को लेकर प्रतिबंधों की चेतावनी अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में भी दी गई थी। यह चेतावनी तब आई थी जब अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही थी। यानी ट्रंप प्रशासन से सत्ता का हस्तांतरण जो बाइडन प्रशासन के हाथों में किया जा रहा था। ट्रंप प्रशासन भी कई बार चेतावनी दे चुका था।
लेकिन अमेरिका के लिए भारत पर इस तरह का प्रतिबंध लगाना आसान नहीं है। उसके सामने भारत की इस समस्या से बड़ी मुश्किल चीन और रूस के रूप में सामने हैं। यदि दुनिया पर सबसे ताक़तवर होने की धौंस को उसे कायम रखना है तो चीन और रूस से अमेरिका को निपटना होगा। इसके लिए अमेरिका को जाहिर तौर पर भारत का साथ चाहिए होगा। खासकर चीन पर लगाम लगाने के लिए अमेरिका को भारत की ज़रूरत होगी। और ऐसा तभी हो सकता है जब भारत के साथ उसके संबंध मज़बूत हो। यही वजह है कि बाइडेन प्रशासन ने अब तक रूस के साथ व्यापार के लिए भारत पर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून को लागू करने में देरी की है। लेकिन जाहिर तौर पर अमेरिका भारत पर इस तरह का दबाव तो बनाता ही रहेगा कि वह रूस से इस तरह के हथियारों के सौदे रद्द कर अमेरिका के साथ सौदा करे।
बहरहाल, पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार डोनाल्ड लू ने भारत द्वारा मिग-29 सौदे को रद्द किए जाने और नये प्रतिबंधों का ज़िक्र करते हुए सांसदों से कहा कि शायद अब रूस इस हालत में नहीं रहेगा कि वह नये हथियार बेच सके या ग्राहकों को मरम्मत करने की सुविधा दे सके।
अपनी राय बतायें