रूस के साथ एस-400 हवाई सुरक्षा प्रणाली का सौदा करने के लिए भारत पर अमेरिका द्वारा जो प्रतिबंध लगाए जाने की आशंका जताई जाती रही है उसकी चेतावनी अब अमेरिकी कांग्रेस की एक रिपोर्ट में भी दी गई है। भारत ने इस सुरक्षा प्रणाली के लिए रूस के साथ अरबों डॉलर का सौदा किया है। यह चेतावनी तब आई है जब अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया चल रही है। यानी ट्रंप प्रशासन से सत्ता का हस्तांतरण जो बाइडन प्रशासन के हाथों में किया जा रहा है। ट्रंप प्रशासन भी कई बार चेतावनी दे चुका है।
एस-400 रूस की सबसे उन्नत लंबी दूरी तक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल के रूप में जानी जाती है। इसके शामिल होने पर भारत की रक्षा प्रणाली काफ़ी मज़बूत हो जाएगी।
अमेरिकी कांग्रेस की जिस रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है वह अमेरिकी संसद के स्वतंत्र एवं दो दलीय शोध निकाय ‘कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस’ यानी सीआरएस है। सीआरएस ने कांग्रेस को सौंपी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत साझा प्रौद्योगिकी और सह-निर्माण की पहल के लिए इच्छुक है जबकि अमेरिका भारत की रक्षा ‘ऑफसेट’ नीति में ज़्यादा सुधार और रक्षा के क्षेत्र में ज़्यादा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा तय करने की अपील करता है।
सीआरएस की रिपोर्टें न तो अमेरिकी कांग्रेस की आधिकारिक रिपोर्ट हैं और न ही सांसदों के विचार को दर्शाती हैं। ये रिपोर्टें दरअसल, स्वतंत्र विशेषज्ञों द्वारा इसलिए तैयार की जाती हैं कि सांसद निर्णय लेने से पहले उस विषय से पूरी तरह अवगत हों।
इसके बावजूद लगता है कि इस चेतावनी को इतने हल्के में नहीं लिया जाएगा। यह इसलिए कि अमेरिका ने रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली खरीदने के कारण तुर्की सरकार, उसकी रक्षा खरीद एजेन्सी एसएसबी और कुछ बड़े लोगों पर प्रतिबंध लगा दिया है। वह भी तब जब तुर्की उत्तरी अटलांटिक समझौता संगठन यानी नाटो का सदस्य होने के कारण अमेरिका का सहयोगी देश है।
बता दें कि इस मामले में दो साल पहले ट्रंप प्रशासन ने भी भारत को चेताया था कि वह रूस के साथ यह सौदा नहीं करे। इसके बावजूद अक्टूबर, 2018 में भारत ने चार एस-400 खरीदने के लिए रूस के साथ पाँच अरब डॉलर का सौदा किया था। ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि ऐसा करने से भारत पर अमेरिकी पाबंदियाँ लग सकती हैं। ट्रंप की लगातार चेतावनी के बाद भी भारत ने इस मिसाइल प्रणाली के लिए रूस को 2019 में 80 करोड़ डॉलर की पहली किश्त का भुगतान भी कर दिया।
पिछले महीने रूस ने कहा था कि अमेरिकी पाबंदियों की धमकी के बावजूद एस-400 मिसाइल प्रणाली के सौदे पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
पिछले महीने नयी दिल्ली में रूसी राजदूत निकोलाय कुदाशेव ने एस-400 मिसाइल प्रणाली की खरीद को लेकर तुर्की पर अमेरिकी पाबंदियों की आलोचना की थी।
बता दें कि अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ ने तुर्की पर प्रतिबंधों का एलान करते हुए कहा था, 'अमेरिका ने तुर्की के उच्च नेतृत्व से कई बार यह कहा कि एस-400 प्रणाली खरीदने से अमेरिका की सैनिक प्रौद्योगिकी, अमेरिकी सैनिक और उसकी सुरक्षा प्रणाली ख़तरे में पड़ जाएँगी। लेकिन तुर्की ने इसकी अनदेखी करते हुए विकल्प रहने के बावजूद रूस से ही यह मिसाइल प्रणाली लेने का फ़ैसला किया।'
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