कोरोना की दूसरी लहर से पहले कुंभ और अब तीसरी लहर की आशंका से पहले कांवड़ यात्रा। दूसरी लहर के दौरान ही गंगा नदी में तैरते और रेत में दफनाए हुए सैकड़ों शव मिले थे। लगता है न पिछली बार सीख ली गई थी और न इस बार सबक़ लेने का इरादा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने काँवड़ यात्रा की तैयारियाँ शुरू कर दी हैं और उनका कहना है कि पड़ोसी राज्यों से संवाद स्थापित कर कांवड़ यात्रा को पूरा किया जाए। यह भी ख़बर है कि जिस उत्तराखंड में फ़िलहाल कांवड़ यात्रा पर प्रतिबंध लगा है उसके मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के साथ योगी आदित्यनाथ की बातचीत हुई है। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार की अध्यक्षता में कुछ दिन पहले ही देहरादून में कांवड़ यात्रा को लेकर 8 राज्यों के पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक भी हुई थी।
कांवड़ यात्रा के लिए ऐसी तैयारी तब हो रही है जब महामारी रोग विशेषज्ञ तीसरी लहर की आशंका जता रहे हैं। भारतीय स्टेट बैंक ने भी एक रिपोर्ट में इसके संकेत दिए हैं। 8 राज्यों में कोरोना पॉजिटिविटी रेट बढ़ने लगी है। उस नये डेल्टा प्लस वैरिएंट के मामले आ रहे हैं जिसका पहले के रूप डेल्टा वैरिएंट को देश में कोरोना की दूसरी लहर में तबाही लाने के लिए ज़िम्मेदार माना गया है। हर रोज़ संक्रमण के मामले जो क़रीब 34 हज़ार आ रहे थे वह बुधवार को 24 घंटे में 45 हज़ार से ज़्यादा आए हैं। ख़तरे को देखते हुए हाल ही में छह राज्यों में केंद्र से विशेषज्ञों की टीमें भेजी गई थीं।
कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता व कुंभ की भीड़ के बीच संबंध और तीसरी लहर की आशंका को लेकर उत्तराखंड हाईकोर्ट की टिप्पणी काफ़ी अहम है। हालाँकि यह टिप्पणी कांवड़ यात्रा को लेकर नहीं, बल्कि चारधाम यात्रा को लेकर है जिसके लिए उत्तराखंड सरकार अड़ी है, लेकिन अदालत ने साफ़ कर दिया है कि कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र ऐसी भीड़ नहीं होने दी जाएगी। जब उत्तराखंड सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने दलील दी कि चारधाम के पूजा-पाठ के लाइव प्रसारण की शास्त्र अनुमति नहीं देते तो हाई कोर्ट ने कहा कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है, यहाँ क़ानून का शासन है, शास्त्रों का नहीं। कुछ दिन पहले हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के मद्देनज़र चारधाम यात्रा पर रोक लगा दी थी और इसी के साथ कोर्ट ने पूजा-अनुष्ठानों के लाइव प्रसारण के लिए कहा था।
धार्मिक अनुष्ठानों को लेकर हाई कोर्ट का ऐसा सख़्त रवैया इसलिए है कि भारत ने अभी कुछ महीने पहले ही एक अभूतपूर्व संकट को देखा है। देश में अस्तपाल बेड, दवाइयाँ और ऑक्सीजन जैसी सुविधाएँ भी कम पड़ गई थीं।
ऑक्सीजन समय पर नहीं मिलने से बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुईं। अस्पतालों में तो लाइनें लगी ही थीं, श्मशानों में भी ऐसे ही हालात थे।
इस बीच गंगा नदी में तैरते सैकड़ों शव मिलने की ख़बरें आईं और रेत में दफनाए गए शवों की तसवीरें भी आईं। यह कोरोना की दूसरी लहर थी। भारत में जब दूसरी लहर अपने शिखर पर थी तो हर रोज़ 4 लाख से भी ज़्यादा संक्रमण के मामले रिकॉर्ड किए जा रहे थे। देश में 6 मई को सबसे ज़्यादा 4 लाख 14 हज़ार केस आए थे।
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देश में ऐसे हालात की शुरुआत में ही उत्तराखंड में कुंभ का आयोजन किया गया था। ऐसा तब किया गया जब महामारी विज्ञानी और दूसरे विशेषज्ञ ऐसे आयोजनों में भीड़ इकट्ठा होने पर कोरोना के ख़तरे की चेतावनी दे रहे थे। लेकिन सरकार ने एक न मानी। कुंभ कराने के आयोजन को लेकर सरकार अड़ी रही। इस पर हाई कोर्ट ने पाबंदी भी लगवाई और कहा कि जब तक व्यक्ति 72 घंटे पहले तक की कोरोना नेगेटिव रिपोर्ट नहीं लाएगा उसे उत्तराखंड या हरिद्वार में घुसने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। लेकिन आरोप लगे कि उत्तराखंड सरकार इस फ़ैसले को भी ठीक से लागू कराने में विफल रही।
अब रिपोर्टें आ रही हैं कि हरिद्वार में कोरोना जाँच सही तरीक़े से नहीं हुई। कुंभ मेले में शाही स्नान के एक-एक दिन में 30-30 लाख लोगों के पहुँचने के दावे किए गए। कुंभ के दौरान ही कोरोना के मामले हरिद्वार में काफ़ी बढ़ गए। कोरोना से कई साधुओं के संक्रमित होने और एक साधु की मौत की ख़बर भी आई। तय समय से पहले कुंभ को रोका गया, लेकिन जब देश भर से आए लोग अपने-अपने घरों को पहुँचे तो संक्रमित लोगों से बड़े पैमाने पर संक्रमण फैला। दूसरी लहर के फैलने में ऐसे लोगों का भी बड़ा हाथ रहा।
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ऐसे हालात को लेकर ही उत्तराखंड हाई कोर्ट ने चारधाम यात्रा को लेकर अप्रैल महीने में सुनवाई के दौरान कहा था कि चारधाम यात्रा को एक और कुंभ नहीं बनने दिया जाएगा। चारधाम पर हाई कोर्ट की ऐसी सख़्त टिप्पणी आ ही रही है कि उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने कांवड़ यात्रा को मंजूरी दे दी है और वह इस प्रयास में है कि उत्तराखंड सरकार भी इसके लिए साथ दे। फ़िलहाल तो उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा पर पाबंदी लगी हुई है, लेकिन यह पाबंदी कब हट जाए यह भी नहीं कहा जा सकता है। तीसरी लहर से पहले कांवड़ यात्रा होने के बाद कहीं एक और संकट न आ जाए!
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