अपनी बात शुरू करने से पहले मैं एक छोटा-सा क़िस्सा सुनाना चाहता हूँ। मेरे साथ हाईस्कूल में पढ़ने वाला एक सहपाठी कोई चालीस साल बाद मुझे अचानक ट्रेन में मिल गया।। संयोग से हम दोनों ने ही एक-दूसरे को पहचान लिया। मैंने पूछा, तुम हाईस्कूल में मेरे साथ थे। फिर क्या पढ़ाई के लिए बाहर चले गए थे?’
योगी जी, झूठ मत बोलिए कि छुआछूत मुग़लों ने फैलाई
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- 21 Feb, 2019

क्या ये विष्णु, याज्ञवल्क्य, नारद, बृहस्पति और कात्यायन स्मृतियाँ मुग़लों ने बनाई थीं? क्या मनुस्मृति का विधान भी मुग़लों का बनाया हुआ है, जिसमें कहा गया है कि चांडालों के साथ कोई भी सामाजिक व्यवहार न करे, तथा चांडाल और श्वपच के रहने का स्थान गाँव के बाहर रहना चाहिए। (10/51-54) क्या यह छुआछूत नहीं है? जब इन स्मृतियों के विधाता मुसलमान नहीं हैं, ब्राह्मण हैं, तो फिर छुआछूत के लिए मुसलमान कहाँ से ज़िम्मेदार हो गए?
उसने कहा, 'नहीं। फिर पढ़ा ही नहीं।'
मैंने पूछा, 'क्यों?
उसने जवाब दिया, 'मैं संघ में चला गया।'
'संघ मतलब?'
'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में।'
'ओह, फिर पढ़े क्यों नहीं?'
उसने गर्व से कहा, 'संघ में पढ़ाई की क्या जरूरत? फिर संघ ही हमें पढ़ाता है।'