शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने गुरूवार को 'किसान विरोधी राजनीति' को लेकर मोदी सरकार से इस्तीफ़ा दे दिया था। उनका इस्तीफ़ा लोकसभा में विवादस्पद नये कृषि विधेयकों पर वोटिंग से कुछ समय पहले आया था। शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उनका इस्तीफ़ा मंजूर कर लिया। शिरोमणि अकाली दल इन नये कृषि विधेयकों का विरोध करता रहा है और आज ही अकाली दल के प्रमुख और हरसिमरत कौर के पति सुखबीर सिंह बादल ने कहा था कि अकाली दल सरकार और बीजेपी का समर्थन जारी रखेगा लेकिन 'किसान विरोधी राजनीति' का विरोध करेगा। इस बीच लोकसभा में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक, मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (संरक्षण एवं सशक्तिकरण बिल) 2020 पास हो गया है।
मोदी सरकार से इस्तीफ़े की जानकारी ख़ुद हरसिमरत कौर ने ट्वीट कर दी। उन्होंने इसमें साफ़ तौर पर लिखा है कि उन्होंने नये कृषि विधेयकों को लेकर उन्होंने मोदी मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दिया है। उन्होंने लिखा है कि किसानों के साथ उनकी बहन और बेटी के रूप में खड़ा होना गर्व है।
I have resigned from Union Cabinet in protest against anti-farmer ordinances and legislation. Proud to stand with farmers as their daughter & sister.
— Harsimrat Kaur Badal (@HarsimratBadal_) September 17, 2020
शिरोमणि अकाली दल की नेता का यह फ़ैसला ऐसे समय में आया है जब पंजाब और हरियाणा के किसानों में कृषि से जुड़े इन विधेयकों के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त ग़ुस्सा है। केंद्र की मोदी सरकार तीन कृषि अध्यादेश लेकर आई है। इन अध्यादेशों को लेकर यह कहा जा रहा है कि किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र ज़रिया है, अध्यादेश इसे भी ख़त्म कर देगा। इसके अलावा कहा जा रहा है कि ये अध्यादेश साफ़ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था का ख़ात्मा करने वाले हैं। इन दोनों राज्यों के किसान पिछले तीन महीने से इन अध्यादेशों का पुरजोर विरोध कर रहे हैं हालाँकि मोदी सरकार इन्हें किसान हितैषी बता रही है।
अकालियों ने शुरू में इन विधेयकों का समर्थन किया था, लेकिन जब देखा कि पंजाब और हरियाणा में किसानों में इसको लेकर ज़बरदस्त ग़ुस्सा है तो अपनी रणनीति बदली। इसके बाद से ही अकाली राज्य में संभावित नुक़सान की भरपाई की कोशिश कर रहे हैं और केंद्र से किसानों की चिंताओं को दूर करने अपील कर रहे हैं। हालाँकि इसके बावजूद बीजेपी इन विधेयकों पर अड़ी है। इसी के विरोध में अकाली दल ने आज संसद में उनके ख़िलाफ़ विधेयकों का समर्थन वापस लेने और उनके ख़िलाफ़ मतदान करने का फ़ैसला किया।
‘किसान विरोधी अध्यादेश’
वरिष्ठ कृषि विशेषज्ञ डॉक्टर देवेंद्र शर्मा के अनुसार, ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित कृषि संबंधी तीनों अध्यादेश मूलतः किसान विरोधी हैं। किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ही आमदनी का एकमात्र ज़रिया है, अध्यादेश इसे भी ख़त्म कर देगा। पंजाब और हरियाणा के किसानों को इसका सबसे ज़्यादा नुक़सान होगा। इसलिए कि इन राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य और ख़रीद की गारंटी है।’इस अध्यादेश को लेकर भारतीय किसान यूनियन (राजोवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजोवाल कहते हैं, ‘नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल द्वारा पारित अध्यादेश साफ़ तौर पर मौजूदा मंडी व्यवस्था का ख़ात्मा करने वाले हैं। केंद्र सरकार लॉकडाउन के चलते समूचे कृषि क्षेत्र को कॉरपोरेट घरानों के हवाले करना चाहती है।' राजोवाल कहते हैं कि नए अध्यादेश के ज़रिए पंजाब और हरियाणा की मंडियों का दायरा और ज़्यादा सीमित कर दिया जाएगा और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर ख़रीद बंद होने से किसान पूरी तरह बर्बाद हो जाएंगे।
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