इस लोकसभा चुनाव में बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है। विपक्ष तो इसको जोर-शोर से उठा ही रहा है, सरकार की ओर से पीएम मोदी ने भी इस पर अपनी सरकार के बड़े-बड़े दावे किए हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने एक दिन पहले ही समाचार एजेंसी पीटीआई को दिए एक साक्षात्कार में कहा था, 'पिछली सरकारों की तुलना में हमारे युवाओं के लिए अधिक से अधिक अवसर पैदा करने में हमारा ट्रैक रिकॉर्ड सबसे अच्छा रहा है।' तो सवाल है कि क्या रोजगार के अवसर मोदी सरकार में रिकॉर्ड स्तर पर मिले हैं?
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल मोदी सरकार में बेरोजगारी के रिकॉर्ड स्तर पर होने की बात कह रहे हैं। वे आरोप लगा रहे हैं कि प्रधानमंत्री ने जो रोजगार उपलब्ध कराने के वादे किए थे उसको उन्होंने पूरा नहीं किया है। रोजगार के ही एक सवाल के जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने हाल ही में एनडीटीवी के साथ एक इंटरव्यू में दावा किया था कि 'स्कॉच ग्रुप की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 10 साल में हर वर्ष पांच करोड़ रोजगार जेनरेट हुआ है।'
तो सवाल है कि आख़िर रोजगार देने या बेरोजगारी बढ़ने का सच क्या है? आख़िर इसके बारे में विश्वसनीय सर्वे रिपोर्ट क्या कहती हैं? हाल ही में चुनाव से पहले आए लोकनीति-सीएसडीएस सर्वे में भी लोगों ने रोजगार और बेरोजगारी को लेकर राय बताई थी।
सर्वे किए गए लोगों से जब यह सवाल पूछा गया कि उनका सबसे बड़ा एक मुद्दा क्या है तो इसमें सबसे ज़्यादा 27 फ़ीसदी लोगों ने बेरोजगारी को मुद्दा बताया। सीएसडीएस-लोकनीति ने द हिंदू के साथ मिलकर सर्वे किया। चुनाव पूर्व इस सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से लगभग दो तिहाई यानी क़रीब 62% ने कहा है कि नौकरियां पाना अधिक मुश्किल हो गया है। ऐसा मानने वाले शहरों में 65% हैं। गाँवों में 62% और कस्बों में 59% लोग ऐसा मानते हैं। 59% महिलाओं की तुलना में 65% पुरुषों ने यह राय साझा की। केवल 12% ने कहा कि नौकरी पाना आसान हो गया है।
2019 के चुनाव बाद सर्वेक्षण में 11 फीसदी लोगों ने बेरोजगारी को मुद्दा बताया था जो अब बढ़कर 2024 के चुनाव पूर्व सर्वेक्षण में 27% हो गया है।
बेरोजगारी दर 2023-24 में बढ़कर 8% हुई
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई के अनुसार, 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के बीच बेरोजगारी दर वित्तीय वर्ष 2023-24 में बढ़कर 8% हो गई, जो पिछले दो वर्षों में 7.5-7.7% थी। द वायर ने सीएमआईई के आँकड़ों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि सक्रिय रूप से रोजगार की तलाश कर रहे बेरोजगार व्यक्तियों की संख्या लगभग 3 करोड़ 70 लाख तक पहुंच गई है।
युवाओं में बेरोजगारी ज़्यादा
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन की भारत रोजगार रिपोर्ट-2024 बताती है कि 2022 में कुल बेरोजगार आबादी में बेरोजगार युवाओं की हिस्सेदारी 82.9% थी।
मानव विकास संस्थान और अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन द्वारा तैयार भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में कहा गया है, 'भारत में बेरोजगारी मुख्य रूप से युवाओं, विशेष रूप से माध्यमिक स्तर या उससे अधिक शिक्षा वाले युवाओं के बीच एक समस्या थी, और यह समय के साथ बढ़ती गई।'
रिपोर्ट के अनुसार भारत के बेरोजगार कार्यबल में लगभग 83% युवा हैं और कुल बेरोजगार युवाओं में माध्यमिक या उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं की हिस्सेदारी 65.7% है। यानी बेरोजगार युवाओं के बारे में कोई यह भी नहीं कह सकता है कि जब पढ़ाई नहीं पढ़ेंगे तो रोजगार कहाँ से मिलेगा। ऐसे पढ़े-लिखे युवाओं का प्रतिशत बढ़ता रहा है। साल 2000 में यह दर 35.2 फ़ीसदी ही थी। यानी क़रीब 22 साल में इसमें क़रीब 30% प्वाइंट की बढ़ोतरी हुई है। यह भारत रोजगार रिपोर्ट 2024 में आँकड़ा आया है।
2019 में श्रम मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बेरोजगारी दर 6.1% थी। इसने 2019 के आम चुनाव से पहले की रिपोर्ट की पुष्टि की थी जिसमें बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर होने का दावा किया गया था। पहले आँकड़े पर मोदी सरकार ने रोक लगा दी थी।
द वायर की रिपोर्ट के अनुसार जुलाई, 2023 में संसद के मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में एक जवाब में सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार के मंत्रालयों और विभागों में लगभग 10 लाख पद खाली हैं। कांग्रेस मौजूदा चुनाव में 30 लाख सरकारी पद भरने का वादा कर रही है। यानी वह दावा कर रही है कि 30 लाख सरकारी नौकरियों के पद रिक्त हैं।
श्रम बल की भागीदारी
श्रम भागीदारी दर अपने महामारी-पूर्व के स्तर पर पहुंचने के लिए संघर्ष करती दिख रही है। 2016-17 में भारत की यह दर 46.2% थी और अगले तीन वर्षों में लगभग 42-44% तक गिर गई। 2020-21 में यह गिरकर 40% से नीचे आ गयी और तब से यह कमजोर बनी हुई है। 2023-24 में यह 40.4% पर थी जो 2016-17 की तुलना में लगभग 5.8 प्रतिशत अंक कम थी।
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