इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ट्वारा ट्वीट और ट्विटर खातों पर कार्रवाई के ख़िलाफ़ ट्विटर ने कर्नाटक हाई कोर्ट का रुख किया है। इसने मंत्रालय की कार्रवाई के तौर-तरीक़ों पर सवाल उठाया है।
एक रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर ने अदालत को बताया कि मंत्रालय कंपनी को किसी खास ट्वीट के बारे में जानकादी दिए बिना पूरे खातों को ब्लॉक करने के आदेश जारी कर रहा है। कंपनी ने कहा है कि ऐसे आदेश जारी करने के मामले बढ़ रहे हैं।
ट्विटर की आपत्ति है कि मंत्रालय किसी खास ट्वीट के बारे में जानकारी नहीं देता है कि आख़िर उसमें क्या आपत्तिजनक है और किन वजहों से पूरे खातों को ब्लॉक किया जाए। कंपनी ने कहा है, 'कई यूआरएल में राजनीतिक और पत्रकारिता संबंधी सामग्री होती है। इस तरह की जानकारी को ब्लॉक करना प्लेटफॉर्म के यूज़रों को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का घोर उल्लंघन है।'
तो सवाल है कि क्या यूज़रों को दी गई अभिव्यक्ति की आज़ादी पर पाबंदी लगाने का प्रयास है? कम से कम ट्विटर की याचिका से तो यही लगता है। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने फरवरी 2021 और 2022 के बीच ट्विटर को ब्लॉक करने के लिए 10 ऑर्डर जारी किए। इन आदेशों में कंपनी को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69 (ए) के तहत 1,400 से अधिक खातों और 175 ट्वीट को हटाने का निर्देश दिया। इस मामले को लेकर ट्विटर ने कर्नाटक उच्च न्यायालय का रुख किया। ट्विटर ने याचिका दायर की और इसमें मांग की कि मंत्रालय ने जिन 39 लिंक पर आपत्ति जताई है उन आदेशों को रद्द किया जाए।
ट्विटर ने यह भी दावा किया है कि धारा 69 (ए) के तहत मंत्रालय ने कई मामलों में ब्लॉकिंग ऑर्डर जारी करने के लिए 'उचित कारण' नहीं बताया है। रिपोर्ट के अनुसार ट्विटर को मंत्रालय से 1,474 अकाउंट और 175 ट्वीट्स को ब्लॉक करने के आदेश मिले हैं।
अपनी याचिका में कुछ आदेशों को असंवैधानिक कहते हुए ट्विटर ने कहा है कि ब्लॉकिंग आदेशों को इस आधार पर चुनौती दी जाती है कि वे प्रक्रियात्मक रूप से और धारा 69A का काफी हद तक अनुपालन नहीं कर रहे हैं।
याचिका में मंत्रालय के आदेश को साफ़ तौर पर मनमाना क़रार दिया गया है।
ट्विटर की याचिका में उल्लेख किया गया है कि ब्लॉकिंग आदेश मौलिक और प्रक्रियात्मक रूप से गलत है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट के अनुसार यह पता चला है कि जिन खातों और ट्वीट्स को हटाने का आदेश मंत्रालय ने दिया था, उनके बारे में खास जानकारी ट्विटर द्वारा एक सीलबंद लिफाफे में अदालत को दिया गया है। ऐसा इसलिए कि धारा 69 (ए) के आदेशों को गोपनीय रखा जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार आईटी मंत्रालय और ट्विटर ने टिप्पणी के तत्काल अनुरोध का जवाब नहीं दिया।
बता दें कि आईटी अधिनियम की धारा 69 (ए) केंद्र को भारत की संप्रभुता और अखंडता, भारत की रक्षा, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों या जनता के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधों के हित में सोशल मीडिया खातों पर ब्लॉकिंग आदेश जारी करने की अनुमति देती है।
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