रिपब्लिक टीवी के संपादक अर्णब गोस्वामी की याचिका पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। अपने कार्यक्रम के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर टिप्पणी को लेकर अर्णब के ख़िलाफ़ देश भर के कई राज्यों में मुक़दमे दर्ज किए गए हैं। इसी के ख़िलाफ़ अर्णब ने याचिका दायर की है।
जस्टिस डी.वाई.चंद्रचूड़ और जस्टिस एम.आर.शाह की बेंच ने इस मामले में सुनवाई की। अदालत ने मुंबई पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया है कि वे याचिकाकर्ता और रिपब्लिक टीवी के मुंबई स्थित ऑफ़िस को सुरक्षा उपलब्ध कराएं। अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को जांच में सहयोग करना होगा। बेंच ने कहा कि तीन हफ़्ते तक याचिकाकर्ता के ख़िलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई न की जाए। मामले में अब 8 हफ़्ते बाद सुनवाई होगी।
अदालत ने एक एफ़आईआर को छोड़कर इस मामले में दर्ज सभी एफ़आईआर पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है। यह एक एफ़आईआर महाराष्ट्र के नागपुर के सदर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई है और इसे एन.एम.जोशी मार्ग पुलिस स्टेशन में ट्रांसफ़र कर दिया गया है।
इससे पहले अर्णब गोस्वामी की ओर से सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने पैरवी की। जबकि दूसरे पक्ष से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा और कपिल सिब्बल ने दलीलें पेश की। रोहतगी ने कहा, ‘मेरे मुवक्किल राजनीतिक व्यक्ति नहीं हैं। साधुओं की हत्या हुई है और गोस्वामी ने हिंदुओं और मुसलमानों के बारे में कुछ नहीं कहा। गोस्वामी अपने शो में बस यह दिखाना चाहते थे कि पुलिस की मौजूदगी में इतनी क्रूर घटनाएं क्यों हो जाती हैं।’ रोहतगी ने अर्णब और रिपब्लिक टीवी के ऑफ़िस के लिए सुरक्षा देने की मांग की।
वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने अदालत से कहा, ‘ऐसे लोगों को कोई सुरक्षा नहीं दी जानी चाहिए। ऐसे लोगों के पास ब्रॉडकास्टिंग लाइसेंस है लेकिन क्या इसका मतलब यह है कि वे कुछ भी कह सकते हैं।’ कपिल सिब्बल ने कहा कि अगर कांग्रेस के लोगों ने एफ़आईआर दर्ज करवाई हैं, तो इसमें क्या दिक्क़त है क्या बीजेपी के लोग एफ़आईआर दर्ज नहीं करवाते?
अर्णब ने बुधवार रात को वीडियो जारी कर कहा था कि उन पर युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उस वक्त हमला किया जब वह रात 12.15 के आसपास अपनी पत्नी के साथ मुंबई के लोअर परेल स्थित अपने ऑफ़िस से गणपत राव कदम मार्ग स्थित अपने घर की ओर लौट रहे थे। इस मामले में दो लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
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