क्या डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों को दुनियाभर के देशों पर धौंस जमाने के टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं? आख़िर वह अमेरिका से अवैध प्रवासियों को बाहर भेजने के लिए सेना के विमान का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं? अमानवीय तरीक़े से जंजीरों में बाँधकर प्रवासियों को क्यों भेज रहे हैं? यह सवाल इसलिए कि अमेरिका में बिना दस्तावेज़ों के रह रहे भारतीयों को लेकर पाँच फरवरी को अमेरिकी सेना का विमान अमृतसर में उतरा। हालाँकि, भारतीयों की तस्वीरें सामने नहीं आ पाई हैं कि उन्हें किस तरह से जहाज में बैठाया गया है। रिपोर्ट है कि अवैध प्रवासियों को बाहर भेजने के लिए अधिकतर मालवाहक विमान का इस्तेमाल कर रहा है। क्या उन्हें सामान्य विमान से नहीं भेजा जा सकता है? क्या संबंधित देश अपने लोगों को खुद नहीं बुला सकते हैं? आख़िर अमेरिका के ऐसा करने का मक़सद क्या है?
इस सवाल का जवाब डोनाल्ड ट्रंप द्वारा अपनाए जाने वाले तरीक़े से भी मिल सकता है। डोनाल्ड ट्रंप सत्ता में आने के बाद से ही अवैध प्रवासियों को लेकर मुखर हैं। मुखर क्या हैं, दरअसल वह दुनिया भर के देशों को धमकाने के अंदाज़ में चेतावनी दे रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभालते ही एक के बाद एक ऐसी नीतियों की घोषणा की है जिससे अमेरिका ही नहीं, दुनिया भर में चिंताएँ पैदा हुईं। उन्होंने जो विवादास्पद नीतियों की घोषणा की है उसमें इमिग्रेशन पॉलिसी यानी आव्रजन नीति और जन्मजात नागरिकता की नीति भी शामिल हैं। ट्रंप के ऑर्डर पर दस्तख़त करने के बाद अमेरिका में बिना कागजों और क़ानूनी दस्तावेजों के रहने वाले प्रवासियों को उनके देश भेजा जाएगा। अमेरिका में इस समय बिना वैध दस्तावेज के क़रीब 725000 भारतीय हैं। इनमें से क़रीब 18,000 लोगों को वापस भारत भेजने के लिए एक सूची तैयार की गई है।
ट्रंप ने अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने के लिए सेना की मदद ली है। सेना उनकी धर-पकड़ कर रही है और जगह-जगह से गिरफ्तारियाँ कर रही है। पिछले कुछ दिनों में अमेरिका ने सेना के जहाज में भरकर अवैध प्रवासियों को पेरु, होंडूरास, ग्वाटेमाला जैसे देशों में भेजा है और इसी क्रम में भारत में भी बुधवार को पहला जहाज उतरा है।
वापस भेजे जाने वालों को गिरफ्तार कर जिस तरह से हथकड़ियाँ लगाकर जहाज में ले जाया जा रहा है, उस पर आपत्ति की जा रही है। लोगों को मालवाहक जहाज में भेजा जा रहा है।
क्या ट्रंप इसके माध्यम से कोई कड़ा संदेश देना चाहते हैं? लगता तो ऐसा ही है। ट्रंप ने अक्सर अवैध प्रवासियों को एलियन और अपराधी कहा है जिन्होंने अमेरिका पर आक्रमण किया है। सैन्य विमानों पर लादे जा रहे प्रवासियों की जो तस्वीरें सामने आ रही हैं, उससे भी यही संदेश जाता है कि ट्रंप ऐसे 'अपराधों' के प्रति सख़्त हैं। विमानों में लादे जा रहे प्रवासियों को बेड़ियाँ और हथकड़ी लगाने से भी यही संदेश देने की कोशिश की जा रही है।
24 जनवरी को व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरोलिन लेविट ने हथकड़ी लगे प्रवासियों की तस्वीरें पोस्ट की थीं, जो एक साथ बंधे हुए थे और एक सैन्य विमान की ओर जा रहे थे। एक्स पर उनकी पोस्ट में लिखा था, 'निर्वासन उड़ानें शुरू हो गई हैं। राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को एक कड़ा और साफ़ संदेश भेज रहे हैं: यदि आप अवैध रूप से संयुक्त राज्य अमेरिका में घुसते हैं तो आपको गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।'
हाल ही में ट्रंप ने कहा,
“
इतिहास में पहली बार हम अवैध विदेशियों का पता लगा रहे हैं, उन्हें सैन्य विमानों में लाद रहे हैं और उन्हें वापस उन स्थानों पर ले जा रहे हैं जहाँ से वे आए थे... सालों तक मूर्ख़ लोगों की तरह अपना मजाक बनने के बाद हम फिर से सम्मान पा रहे हैं।
डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिका के राष्ट्रपति
कोलंबिया ने क्यों लौटा दिया था सैन्य विमान?
सैन्य विमान से प्रवासियों को वापस भेजने को लेकर ट्रंप को क़रीब हफ़्ते भर पहले ही तब झटका लगा था जब कोलंबिया ने अमेरिका के सैन्य विमान को वापस लौटा दिया था। इस पर डोनाल्ड ट्रंप ने कोलंबिया पर टैरिफ लगाने की धमकी दी थी।
अमेरिका से जंजीरों में बांधकर अमानवीय तरीके प्रवासियों को भेजे जाने की तस्वीरे सामने आने और इस मुद्दे पर डोनाल्ड ट्रंप के साथ तनातनी के बाद कोलंबिया ने ये फ़ैसला लिया। कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को लेकर आई उड़ानों को कोलंबिया में उतरने से रोक दिया था।
कोलंबिया सरकार ने कहा था कि वह यह सुनिश्चित करेगी कि उनके नागरिकों को बेइजज्त करके अमेरिका से ना निकाला जाए। इस संबंध में कोलंबिया के राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में 'सम्मानजनक वापसी' शब्द पर विशेष जोर दिया था। पेट्रो ने अमेरिका से प्रवासियों को वापस लाने के लिए विशेष विमान भेजने का फैसला किया।
बता दें कि सैन्य विमानों में बेड़ियों में जकड़े प्रवासियों को वापस भेजे जाने का मामला विशेष रूप से लैटिन अमेरिका में एक संवेदनशील मुद्दा रहा है। वैसे, लगातार यह कहा जाता रहा है कि अमेरिकी सेना की मौजूदगी मेक्सिको जैसे देशों में राष्ट्रीय संप्रभुता की धारणा को भी ख़तरे में डाल सकती है। मैक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शिनबाम ने कहा है, 'वे अपनी सीमाओं के भीतर काम कर सकते हैं। जब मैक्सिको की बात आती है, तो हम अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हैं और समन्वय के लिए बातचीत की कोशिश करते हैं।'
जैसी प्रतिक्रिया कोलंबिया और मैक्सिको जैसे देशों ने दी है, उस तरह की प्रतिक्रिया भारत की ओर से नहीं आई है। ऐसी ख़बरें भी नहीं आई हैं कि भारत ने सैन्य विमान से भेजे जाने पर आपत्ति की हो। हालाँकि, अमेरिकी विदेश मंत्री ने भी जब अमेरिका की यात्रा पर रहे भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से अवैध प्रवासन का मुद्दा उठाया तो उन्होंने कहा था कि भारत क़ानूनी रूप से नागरिकों को वापस लेने के लिए तैयार है।
पत्रकारों से बात करते हुए एस जयशंकर ने कहा था, 'भारत अवैध प्रवासन का समर्थन कतई नहीं करता। अवैध प्रवासन कई अवैध गतिविधियों से जुड़ा रहता है। ये हमारी प्रतिष्ठा के लिए ठीक नहीं है। अगर हमारा कोई नागरिक अमेरिका में अवैध रूप से रहता हुआ पाया जाता है और उसका भारत का नागरिक होना पाया जाता है तो हम उसके क़ानूनी रूप से भारत वापस लाने की प्रक्रिया के लिए तैयार हैं।'
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