किसान आंदोलन में नेतृत्व करने वाली महिला किसान इस बार टाइम मैगज़ीन के कवर पेज पर जगह पाई हैं। मैगज़ीन ने फ़ोटो का शीर्षक दिया है- 'भारत के किसान आंदोलन की अग्रिम पंक्ति में'।
पत्रिका की कवर स्टोरी में पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्यों की ज़्यादातर उन महिला किसानों के बारे में बात की गई है जो न केवल इसमें भाग ले रही हैं, बल्कि आंदोलन का नेतृत्व भी कर रही हैं। लेख में लिखा गया है कि कृषि सुधार क़ानूनों को निरस्त करने के लिए केंद्र सरकार से लड़ने से अलग महिला नेता पितृसत्ता से भी लड़ रही हैं। वे महिला हत्या, यौन हिंसा और लैंगिक भेदभाव के बारे में मानसिकता बदल रही हैं।
मैगज़ीन के लेख का शीर्षक है- "'मैं भयभीत नहीं हो सकती। मुझे खरीदा नहीं जा सकता।' भारत के किसान आंदोलन का नेतृत्व करने वाली महिलाएँ"। इसमें इस बात का ज़िक्र है कि कैसे नवंबर 2020 से तीन कृषि क़ानूनों को निरस्त करने की माँग को लेकर हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाक़े में विभिन्न जगहों पर इकट्ठे हुए हैं। इसमें यह भी लिखा गया है कि कैसे जनवरी 2021 में भारत के मुख्य न्यायाधीश ने वकीलों को 'बुजुर्ग लोगों और महिलाओं को प्रदर्शन छोड़ने के लिए राजी करने' के लिए कहा था। लेख में लिखा गया है, "इसके जवाब में महिला किसानों ने मंचों पर माइक्रोफ़ोन पकड़कर एक सुर में दहाड़ा 'नहीं!'"
टाइम मैगज़ीन में इस तसवीर और लेख को लेकर लोगों ने सोशल मीडिया पर उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया दी है। सेवानिवृत्त आईएएस सूर्य प्रताप सिंह ने मैगज़ीन का धन्यवाद किया है और लिखा है कि हमें अपने किसानों पर गर्व है।
Thank You @TIME Magazine!
— Surya Pratap Singh IAS Rtd. (@suryapsingh_IAS) March 5, 2021
We are proud of our farmers. pic.twitter.com/xWTEBj6HLk
टाइम मैगज़ीन की यह कवर स्टोरी 8 मार्च के महिला दिवस से कुछ पहले आया है। इसका ख़ास महत्व इसलिए भी है कि इसे सांकेतिक तौर पर ही सही महिलाओं के सशक्तिकरण के तौर पर देखा जाता है। मैगज़ीन ने जो तसवीर प्रकाशित की है और जो लेख लिखा है उससे भी महिलाओं के नेतृत्व की वही तसवीर उभरती है।
The cover of TIME Magazine’s international edition featuring the brave women of the #FarmersProtest 🙏🏾❤️✊🏾 pic.twitter.com/BESpVI10L4
— Simran Jeet Singh (@simran) March 5, 2021
Thank you so much @TIME for bringing this up! We appreciate this immensely 🧡✊🏼#FarmersProtest #FarmersProtest100Days
— Carish Dhaliwal (@dhaliwalcarish) March 5, 2021
बता दें कि दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन करते किसानों के 100 दिन हो चुके हैं। हज़ारों किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा से, दिल्ली की सीमाओं पर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। 26 नवंबर, 2020 को यह विरोध शुरू हुआ था।
किसान तीनों नए कृषि सुधार क़ानूनों को वापस लेने और न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी प्रणाली की गारंटी बनाए रखने की मांग कर रहे हैं। केंद्र और किसान संघ के नेताओं के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद गतिरोध बना हुआ है। किसानों को डर है कि नए क़ानून एमएसपी प्रणाली और कॉर्पोरेट खेती को नष्ट कर देंगे। सरकार ने अपनी ओर से दावा किया है कि क़ानूनों से किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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