loader

बुलडोजर इंसाफ पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा रुख- 'दोषी होने पर भी तोड़फोड़ की अनुमति नहीं'

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को तथाकथित बुलडोजर न्याय के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी करते हुए कहा कि संपत्तियों को सिर्फ इसलिए ध्वस्त नहीं किया जा सकता क्योंकि वे किसी अपराध के आरोपी व्यक्ति की हैं। अदालत ने कहा- 

अगर किसी व्यक्ति को दोषी ठहराया गया हो तो भी उसकी संपत्ति को ध्वस्त नहीं किया जा सकता।


-सुप्रीम कोर्ट, 2 सितंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ

गंभीर अपराधों के आरोपियों के घरों के खिलाफ अधिकारियों द्वारा अक्सर की जाने वाली बुलडोजर की कार्रवाई के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए, अदालत ने कड़ा रुख अपनाया। यूपी, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, असम, राजस्थान आदि राज्यों में कई आरोपियों के घरों को बुलडोजर से गिरा दिया गया। इनमें तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े आरोपी भी शामिल थे। हाल ही में मध्य प्रदेश में एक कांग्रेस नेता का घर बुलडोजर से गिराया गया। जबकि वो कांग्रेसी नेता पुलिस थाने पर पथराव को रोकने के लिए जनता को समझा रहे थे, लेकिन एमपी की भाजपा सरकार ने उनका ही घर गिरा दिया। यूपी में योगी आदित्यनाथ की सरकार तमाम लोगों के घर-दुकानों को बुलडोजर से गिराने के लिए बदनाम हो चुकी है।  

ताजा ख़बरें

जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा कि अप्रैल 2022 में दंगों के तुरंत बाद दिल्ली के जहांगीरपुरी में कई लोगों के घरों को इस आरोप में ध्वस्त कर दिया गया था कि उन्होंने दंगे भड़काए थे। वरिष्ठ अधिवक्ता चंद्र उदय सिंह ने हाल ही के उदयपुर के एक मामले का हवाला दिया जहां एक व्यक्ति का घर इसलिए तोड़ दिया गया क्योंकि किरायेदार के बेटे पर कथित अपराध का आरोप था।

Supreme Court strict stance on bulldozer justice - 'No demolition even if guilty' - Satya Hindi
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ यह भी कहा कि वह सार्वजनिक सड़कों पर बाधा डालने वाली किसी भी अवैध बिल्डिंग की रक्षा नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट ने अधिकारियों से पूछा कि सिर्फ इसलिए किसी का घर कैसे गिराया जा सकता है क्योंकि वह आरोपी है। अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे पर दिशानिर्देश तय करने का प्रस्ताव करती है।

भले ही वह दोषी है, फिर भी कानून द्वारा निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए बिना ऐसा नहीं किया जा सकता है। हम अखिल भारतीय स्तर पर कुछ दिशानिर्देश बनाने का प्रस्ताव करते हैं ताकि उठाए गए मुद्दों के बारे में चिंताओं का ध्यान रखा जा सके।


- जस्टिस बी. आर. गवई और जस्टिस के. वी. विश्वनाथन, सुप्रीम कोर्ट 2 सितंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ

अदालत ने कहा- 

किसी पिता का एक जिद्दी बेटा हो सकता है, लेकिन अगर इस आधार पर जमीन पर बना घर गिरा दिया जाए... तो ऐसा करने का यह तरीका नहीं है। ऐसा विध्वंस तभी हो सकता है जब ढांचा अवैध हो।


- जस्टिस के. वी. विश्वनाथन, सुप्रीम कोर्ट 2 सितंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ

जस्टिस के.वी. विश्वनाथन ने यह भी कहा- 

ऐसे मामलों से बचने के लिए निर्देश क्यों नहीं पारित किए जा सकते? पहले नोटिस, फिर जवाब देने का समय, फिर कानूनी उपाय तलाशने का समय और फिर सबसे बाद में विध्वंस।


- जस्टिस के. वी. विश्वनाथन, सुप्रीम कोर्ट 2 सितंबर 2024 सोर्सः लाइव लॉ

पिछले कुछ वर्षों में, कई राज्य सरकारों ने मामूली कथित अपराधों में भी शामिल लोगों के घरों और संपत्तियों को ध्वस्त कर दिया है। विपक्ष का आरोप है कि समुदाय विशेष की सम्पत्तियों को कथित बुलडोजर न्याय की आड़ में ज्यादा निशाना बनाया गया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले को 17 सितंबर को सुनवाई के लिए तारीख दी है।

सुप्रीम कोर्ट का निर्देश देर से आया

दिल्ली के जहांगीरपुरी में अप्रैल, 2022 में होने वाले विध्वंस अभियान से संबंधित, 2022 में सुप्रीम कोर्ट के समक्ष याचिकाएं दायर की गयी थीं। अभियान पर रोक लगा दी गई थी लेकिन स्पष्ट फैसला नहीं आया। इनमें से एक याचिका पूर्व राज्यसभा सांसद और सीपीआई (एम) नेता बृंदा करात की थी, जिसमें अप्रैल में शोभा यात्रा जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा के बाद जहांगीरपुरी इलाके में तत्कालीन उत्तरी दिल्ली नगर निगम द्वारा किए गए विध्वंस को चुनौती दी गई थी।

देश से और खबरें

सितंबर, 2023 में जब इस मामले की सुनवाई हुई, तो वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे (कुछ याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश) ने राज्य सरकारों द्वारा अपराधों के आरोपी लोगों के घरों को ध्वस्त करने की बढ़ती आदत के बारे में चिंता व्यक्त की, और जोर देकर कहा कि घर का अधिकार एक अधिकार है। संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन के अधिकार का पहलू। उन्होंने यह भी आग्रह किया कि अदालत ध्वस्त किये गये मकानों के पुनर्निर्माण का आदेश दे।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें