सुप्रीम कोर्ट ने बिना ट्रायल के ही लोगों को लगातार जेल में रखने के लिए ईडी से कड़े सवाल किए हैं। किसी आरोपी को डिफ़ॉल्ट जमानत देने से इनकार करने और ऐसे व्यक्तियों को अनिश्चित काल तक जेल में रखने के लिए पूरक आरोप पत्र दाखिल करने पर अदालत ने नाराज़गी जताई। इसने कहा कि आरोपियों को बिना ट्रायल के प्रभावी ढंग से जेल में रखने की यह प्रथा सुप्रीम कोर्ट को परेशान करती है।
लोगों को जेल में रखे रहने के लिए आरोप-पत्र दाखिल करते नहीं रह सकते: SC
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- 20 Mar, 2024
क्या ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय आरोपियों को लगातार जेल में रखने के लिए एक के बाद एक आरोप-पत्र दायर करती रहती है? जानिए, सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में सुनवाई के दौरान क्या कहा।

जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने सुनवाई की। न्यायमूर्ति खन्ना ने ईडी की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर-जनरल एसवी राजू से कहा, 'डिफ़ॉल्ट जमानत का पूरा उद्देश्य यह है कि आप जांच पूरी होने तक गिरफ्तार नहीं करते हैं। आप यह नहीं कह सकते कि जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, ट्रायल शुरू नहीं होगा। आप पूरक आरोप-पत्र दाखिल नहीं करते रह सकते और फिर वह व्यक्ति बिना किसी ट्रायल के जेल में हो।'