सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की एक "खास विशेषता" है। जिसे इसकी मूल संरचना का हिस्सा माना गया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा- “इस न्यायालय के कई निर्णय हैं जो बताते हैं कि धर्मनिरपेक्षता हमेशा संविधान की मूल संरचना का हिस्सा थी। अगर कोई संविधान में लिखे गये समानता के अधिकार और भाईचारे शब्द के साथ-साथ भाग III के तहत तमाम मौलिक अधिकारों को देखता है, तो एक स्पष्ट संकेत है कि धर्मनिरपेक्षता को संविधान की मुख्य विशेषता के रूप में रखा गया है।“
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- धर्मनिरपेक्षता संविधान की सबसे खास विशेषता
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- 29 Mar, 2025
संविधान से समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता शब्दों को हटवाने के लिए पूर्व सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, वकील विष्णु शंकर जैन, अश्विनी उपाध्याय आदि ने याचिकाएं की थीं। सुप्रीम कोर्ट में अब उसी पर सुनवाई शुरू हुई है। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सोमवार को अच्छी तरह से साफ कर दिया कि धर्मनिरपेक्षता भारतीय संविधान का मूल सिद्धांत है। हालांकि अदालत की यह टिप्पणी मौखिक है। अभी कोई आदेश पारित नहीं किया गया है। मामले की अगली सुनवाई नवंबर में होगी। जानिए सोमवार का घटनाक्रमः
