सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इस बात पर जोर दिया कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की एक "खास विशेषता" है। जिसे इसकी मूल संरचना का हिस्सा माना गया है। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा- “इस न्यायालय के कई निर्णय हैं जो बताते हैं कि धर्मनिरपेक्षता हमेशा संविधान की मूल संरचना का हिस्सा थी। अगर कोई संविधान में लिखे गये समानता के अधिकार और भाईचारे शब्द के साथ-साथ भाग III के तहत तमाम मौलिक अधिकारों को देखता है, तो एक स्पष्ट संकेत है कि धर्मनिरपेक्षता को संविधान की मुख्य विशेषता के रूप में रखा गया है।“