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बहराइच दंगे की शुरुआत इसी घटना से हुई थी।

बहराइच दंगाः दांव उल्टा पड़ा, भाजपा विधायक ने अपनी ही पार्टी पर लगाया आरोप

ध्रुवीकरण के बूते यूपी उपचुनावों में मैदान मारने की भारतीय जनता पार्टी की ख्वाहिशों को बहराइच दंगों के बाद के घटनाक्रम ने पलीता लगा दिया है। पहले दंगे में मारे गए रामगोपाल मिश्रा की फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर स्यापा कर रहे नेताओं के चलते भाजपा को बैकफुट पर जाना पड़ा और अब वहीं के स्थानीय विधायक ने अपनी ही पार्टी के पदाधिकारियों पर उपद्रव का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवा दी है। 
दंगे के बाद उपजी स्थिति से खुद को नुकसान होता देख अब भाजपा पदाधिकारियों ने होंठ सिल लिए हैं और कोई भी बयान देने से बच रहे हैं। नुकसान की आशंका से यूपी में जिन क्षेत्रों में उपचुनाव हो रहे हैं वहां बहराइच दंगे का जिक्र भी नहीं हो रहा है। वहीं इस छीछालेदर से विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता को भाजपा पर निशाना साधने का मौका मिल गया है।
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भाजपा विधायक ने पार्टी नेताओं पर कराई एफआईआर

बहराइच में चर्चित भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी है। जिले में जहां से दंगे भड़के उसी महसी क्षेत्र से भाजपा विधायक ने अपनी पार्टी के युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव सहित आठ लोगों पर दंगा फैलाने, पथराव करने और जान से मारने की कोशिश करने के आरोप लगाए हैं। इस एफआईआर में भाजपा युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव के साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं अनुज रैकवार, शुभम मिश्रा, कुशमेंद्र चौधरी, मनीष शुक्ल, पुंडरीक पांडेय, सुधांशु राणा पर दंगा फैलाने का आरोप लगाया गया है। 
विधायक का दावा है कि 13 अक्टूबर को बहराइच में हुई हिंसा के दौरान रामगोपाल मिश्रा की हत्या के बाद जब वह मौके पर पहुंचे, तो उन पर पथराव और फायरिंग की गई। इस मामले में  मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। विधायक का कहना है कि दरअसल दंगा इसीलिए भड़काया गया ताकि उनकी जान ली जा सके।

फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी फजीहत

इससे पहले दंगों में मारे गए रामगोपाल मिश्रा की फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर भाजपा नेताओं से लेकर मीडिया की खासी थू-थू हो चुकी है। एक प्रमुख राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए लिख दिया था कि मृतक के शरीर पर तलवार व चाकू से 35 घाव किए गए और नाखून तक उखाड़े गए। दिल्ली में तेजाबी जुबान में बोलने वाले इलेक्ट्रानिक मीडिया के नामचीन एंकर ने बाकायदा इसी फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट को लेकर ट्वीट भी किया। बाद को इन्ही के आधार पर दिल्ली से लेकर यूपी तक में भाजपा नेताओं ने बयान देने शुरु कर दिया था। 
बिगड़े बोल बोलने वाली चर्चित भाजपा नेत्री नुपुर शर्मा ने भी पोस्टमार्टम की फर्जी रिपोर्ट के हवाले से लोगों के खून खौलाने वाला भाषण दे डाला। हालांकि बाद में उन्होंने सार्वजिन रूप से इस कृत्य के लिए माफी भी मांगी। हालात बिगड़ते देख बहराइच पुलिस ने बाकायद नोट जारी कर पोस्टमार्टम रिपोर्ट और बताई जा रही चोटों को फर्जी और माहौल बिगाड़ने की साजिश बताया। पोस्टमार्टम कराने वाले मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने वीडियो बयान में शरीर पर चोटों व नाखून उखाड़ने को नकारा। स्थानीय पुलिस के सोशल मीडिया सेल ने वास्तविक पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी स्थिति स्पष्ट की।

बुलडोजर न्याय पर भी मुंह की खानी पड़ी

दंगों को लेकर माहौल बनाने और ध्रुवीकरण की आस पाले प्रदेश सरकार ने आनन-फानन में बुलडोजर न्याय का शिगूफा छोड़ा और महसी के महराजगंज बाजार में दंगा फैलाने के आरोपियों के घरों व दुकानों को गिराने के लिए नोटिस चिपका दिए। इतना ही नहीं मौके पर दर्जन भर बुलडोजर ले जाकर खड़े कर दिए गए और जल्द ही दंगे के आरोप में जिन पर एफआईआर दर्ज थी उनके घर गिरा देने संबंधी खबरें प्रसारित की जाने लगी। जिन 26 घरों व दुकानों को गिराने के लिए पुरानी तारीखों में नोटिस जारी किए गए उनमें 23 अल्पसंख्यकों के थे। इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 15 दिनों के लिए बुलडोजर कारवाई पर रोक लगा दी है। जिनके घर बुलडोजर की जद में आ रहे हैं उनका कहना है कि 10 से लेकर 70 साल पहले के बने मकानों को अब नियम विरुद्ध बताकर गिराने की बात की जा रही है। दहशत में आए तमाम लोगों ने तो नोटिस चस्पा होने के बाद खुद ही अपने घरों को तोड़ना शुरु कर दिया था। 
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उपचुनाव में नहीं चल रहा दंगों का दांव

उत्तर प्रदेश में जिन 9 विधानसभा क्षेत्रों कुंदरकी, कटेहरी, मंझवा, फूलपुर, करहल, मीरापुर, सीसामऊ, खैर और गाजियाबाद में उपचुनाव होने हैं वहां दंगों के नाम पर लाभ लेने की भाजपा की कोशिश के उलट अब विपक्षी इंडिया गठबंधन फर्जी पोस्टमार्टम रिपोर्ट से लेकर भाजपा विधायक की एफआईआर का मुद्दा उछालते हुए सत्ताधारी दल को कटघरे में खड़ा कर रहा है। स्थिति ये है कि उपचुनाव वाले क्षेत्रों में भाजपा के नेता अब दंगे का जिक्र करने से बच रहे हैं जबकि विपक्ष सरकार की ही पोस्टमार्टम रिपोर्ट और भाजपा विधायक की एफआईआर के आधार पर भगवा दल को दंगाई बताने में जुट गया है। भाजपा के ही वरिष्ठ नेताओं का कहना है कि कानून-व्यवस्था के नाम पर विपक्ष को कटघरे में खड़ा करने का हथियार भी इन दंगों के चलते नाकाम हुआ और अपनो की हरकतों ने तो बिलकुल ही किनारे लगाने का काम कर दिया है।
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कुमार तथागत
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