कुछ ही महीनों पहले लोकसभा चुनावों में विपक्ष के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण के आगे परास्त हुई भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में दोहरा प्रयोग कर रही है। एक तरफ जहां उसने पीडीए की काट में बड़ी तादाद में पिछड़े प्रत्याशी खड़े किए हैं वहीं ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के दम पर ध्रुवीकरण में सफलता का सूत्र तलाश रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में पूर्ण बहुमत से काफी आगे होने के बाद भी भाजपा इस चुनाव को ‘करो या मरो’ की तर्ज पर लड़ रही है।