कुछ ही महीनों पहले लोकसभा चुनावों में विपक्ष के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण के आगे परास्त हुई भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में दोहरा प्रयोग कर रही है। एक तरफ जहां उसने पीडीए की काट में बड़ी तादाद में पिछड़े प्रत्याशी खड़े किए हैं वहीं ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के दम पर ध्रुवीकरण में सफलता का सूत्र तलाश रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में पूर्ण बहुमत से काफी आगे होने के बाद भी भाजपा इस चुनाव को ‘करो या मरो’ की तर्ज पर लड़ रही है।
यूपी उपचुनाव: विपक्ष के पीडीए की काट के लिए भाजपा का हथियार क्या?
- उत्तर प्रदेश
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- 14 Nov, 2024

उत्तर प्रदेश में नौ सीटों पर हो रहे उपचुनाव के लिए विपक्ष के पीडीए से मुक़ाबले के लिए बीजेपी ने भी इस बार रणनीति बनाई है। जानिए, भाजपा की क्या रणनीति है और यह कितना कारगर हो सकता है।
लोकसभा चुनाव में सपा के हाथों पिछड़ कर नंबर दो पर जाने के ठप्पे को मिटाने को आतुर भाजपा की बेचैनी का आलम ये है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब तक उपचुनावों वाले क्षेत्रों में दो-दो बार रैलियां कर चुके हैं। भाजपा इन चुनावों को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उपचुनाव वाली दो-दो विधानसभाओं के प्रचार अभियान की कमान मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को सौंपी गयी है। प्रदेश में हो रहे 9 विधानसभाओं के उपचुनावों में प्रत्येक पर तीन-तीन कैबिनेट मंत्रियों को बीते 15 दिन से कैंप करा दिया गया है।