कुछ ही महीनों पहले लोकसभा चुनावों में विपक्ष के पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक यानी पीडीए समीकरण के आगे परास्त हुई भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में दोहरा प्रयोग कर रही है। एक तरफ जहां उसने पीडीए की काट में बड़ी तादाद में पिछड़े प्रत्याशी खड़े किए हैं वहीं ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ के नारे के दम पर ध्रुवीकरण में सफलता का सूत्र तलाश रही है। उत्तर प्रदेश विधानसभा में पूर्ण बहुमत से काफी आगे होने के बाद भी भाजपा इस चुनाव को ‘करो या मरो’ की तर्ज पर लड़ रही है।
लोकसभा चुनाव में सपा के हाथों पिछड़ कर नंबर दो पर जाने के ठप्पे को मिटाने को आतुर भाजपा की बेचैनी का आलम ये है कि खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब तक उपचुनावों वाले क्षेत्रों में दो-दो बार रैलियां कर चुके हैं। भाजपा इन चुनावों को लेकर कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उपचुनाव वाली दो-दो विधानसभाओं के प्रचार अभियान की कमान मुख्यमंत्री, दोनों उपमुख्यमंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष को सौंपी गयी है। प्रदेश में हो रहे 9 विधानसभाओं के उपचुनावों में प्रत्येक पर तीन-तीन कैबिनेट मंत्रियों को बीते 15 दिन से कैंप करा दिया गया है।
ध्रुवीकरण से ज़्यादा पिछड़ों पर भरोसा
भाजपा के आधे प्रत्याशी पिछड़ी जातियों से
पीडीए की राजनीति से लोकसभा चुनावों में पार्टी नंबर वन बनी समाजवादी पार्टी को उसी के हथियार से मात देने के लिए भाजपा ने यूपी के उपचुनावों में बड़ी तादाद में पिछड़े प्रत्याशियों पर भरोसा जताया है। जिन 8 सीटों पर भाजपा चुनाव लड़ रही है उनमें उसने मंझवा (मिर्जापुर), फूलपुर (प्रयागराज), कटेहरी (अंबेडकरनगर) और करहल (मैनपुरी) में पिछड़ी जाति के प्रत्याशी उतारे हैं जबकि सुरक्षित सीट खैर में दलित उम्मदीवार है। रालोद के कोटे में गयी मीरापुर की सीट पर भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का पिछड़ी जाति का प्रत्याशी है।
यही नहीं, भाजपा ने पिछड़ी जातियों में भी उत्तर प्रदेश में राजनीति और संख्या के लिहाज के प्रभावी बिरादरियों को मैदान में उतार कर सपा को उसके ही हथियार से जवाब देने का फैसला किया है।
करहल से भाजपा ने अनुजेश यादव (अहीर), कटेहरी से धर्मराज निषाद (मल्लाह), फूलपुर से दीपक पटेल (कुर्मी) और मंझवा से सुचिस्मिता मौर्य (मौर्य) बिरादरी को टिकट देते हुए पिछड़े वोटों में बंटवारे की रणनीति अपनायी है। एनडीए के घटक दल रालोद ने भी मीरापुर से गरड़िया समुदाय के मिथिलेश पाल को टिकट दिया है।
भाजपा के तीन तो सपा का कोई अगड़ा प्रत्याशी नहीं
बसपा के लड़ने में फायदा तलाश रही सपा-भाजपा
चुनाव दर चुनाव कमजोर होती जा रही बहुजन समाज पार्टी ने भी उपचुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े किए हैं। आमतौर पर उपचुनाव लड़ने से परहेज करने वाली बसपा इस बार पूरी ताकत से लड़ने का दावा कर रही है। हालाँकि जमीन पर उसके प्रत्याशी कहीं भी मुख्य लड़ाई में आते नहीं दिख रहे हैं। पूर्व में बसपा का लड़ना सपा के लिए नुकसानदायक साबित होता रहा है पर इस उपचुनाव में वो कई जगहों पर भाजपा के लिए मुसीबत खड़ी कर सकती है। बसपा ने उपचुनावों में गाजियाबाद से भाजपा के परंपरागत वैश्य वोटों में सेंध लगाने के लिए परमानंद गर्ग को प्रत्याशी बनाया है तो सीसामऊ में भाजपा के ब्राह्म्ण प्रत्याशी सुरेश त्रिवेदी के मुकाबले सजातीय वीरेंद्र शुक्ला को मैदान में उतारा है। मंझवा में बसपा ने दीपक तिवारी, फूलपुर से जितेंद्र कुमार सिंह को खड़ा किया है। हां कटेहरी में जरुर पार्टी ने कुर्मी वोटों पर हकमारी के लिए अमित वर्मा और करहल में शाक्य मतों में विभाजन के लिए अवनीश कुमार शाक्य को उतारा है। बसपा ने इकलौता अल्पसंख्यक प्रत्याशी शाहनज़र को मीरापुर से उतारा है जहां वो सपा की सुंबुल राणा को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
अपनी राय बतायें