सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस टूलकिट की एनआईए से जाँच कराने की माँग करने वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा है कि इस तरह की 'तुच्छ' याचिकाएँ दायर करने वालों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जानी चाहिए।
याचिका में यह कहा गया था कि कांग्रेस टूलकिट की जाँच राष्ट्रीय जाँच एजेन्सी यानी एनआईए से कराई जानी चाहिए और राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों शामिल होने का आरोप सही पाए जाने पर कांग्रेस पार्टी का पंजीकरण निलंबित कर देना चाहिए।
लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस जनहित याचिका को खारिज कर दिया और इस पर विचार करने से ही इनकार कर दिया।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ता से कहा कि यदि उन्हें 'टूलकिट पसंद नहीं है तो वे उस ओर न देखें, उसे नज़रअंदाज करें, यह एक राजनीतिक दल की प्रचार सामग्री है।'
क्या कहा चंद्रचूड़ ने?
जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ ने याचिका पर नारज़गी जताते हुए कहा कि समय आ गया है कि इस तरह की 'तुच्छ याचिकाओं' पर कुछ किया जाना चाहिए।
याचिकाकर्ता की पैरवी करने वाले वकील ने कहा कि 'किसी वायरस किस्म को इंडियन वैरिएंट कहना प्रोपगैंडा है, सिंगापुर की सरकार ने सिंगापुर वैरिएंट जैसे शब्द पर आपत्ति जताई थी।'
इस मामले की सुनवाई दो जजों की बेंच ने की, जिसमें जस्टिस एम. आर. शाह भी हैं। जस्टिस शाह ने कहा, 'टूलकिट मामले की आपराधिक जाँच पहले से ही हो रही है।'
क्या कहना है याचिकाकर्ता का?
बता दें कि वकील शशांक शेखर झा ने इस याचिका में कांग्रेस पार्टी, केंद्र सरकार और केंद्रीय चुनाव आयोग को पक्षकार बनाया था।
उन्होंने याचिका में माँग की थी कि कथित टूलकिट मामले में केंद्र सरकार को प्रारंभिक मामला दर्ज करने का निर्देश दिया जाए।
झा ने कहा कि अपराध उजागर करने के लिए मामले की जाँच आइपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) व अन्य विभिन्न धाराओं और ग़ैरकानूनी गतिविधियाँ रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-13 के तहत की जानी चाहिए।
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