सुप्रीम कोर्ट ने नीट-पीजी परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिया। यह परीक्षा रविवार को होने वाली है। इस मामले में दायर याचिका खारिज कर दी गई। इसमें परीक्षा केंद्रों के आवंटन और दो बैचों के अंकों के सामान्यीकरण को लेकर चिंताओं का हवाला दिया गया था।
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच इस मामले की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने कहा, 'हम नई शिक्षा नीति नहीं बना सकते हैं और यह कोई आदर्श दुनिया नहीं है।' याचिकाकर्ताओं ने याचिका में कहा कि कई नीट पीजी उम्मीदवारों को ऐसे शहर आवंटित किए गए हैं, जहाँ पहुंचना उनके लिए बेहद असुविधाजनक है और इसलिए वे चाहते हैं कि परीक्षा स्थगित कर दी जाए।
संशोधित परीक्षा केंद्रों के साथ परीक्षा को बाद की तारीख़ तक स्थगित करने के अलावा, याचिकाकर्ताओं ने उम्मीदवारों को प्रश्नपत्रों के चार सेटों के सामान्यीकरण सूत्र का खुलासा करने की भी मांग की, ताकि प्रक्रिया में मनमानी की किसी भी संभावना को ख़त्म किया जा सके। याचिका खारिज करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'आपका तर्क आदर्श समाधानों पर आधारित है, हम एक जटिल समाज को देख रहे हैं।'
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि याचिका स्वीकार की जाती है तो दो लाख छात्र और चार लाख अभिभावक पीड़ित होंगे। इसने पूछा, 'पांच याचिकाकर्ताओं के कहने पर क्या हमें दो लाख छात्रों के करियर को खतरे में डालना चाहिए?' मुख्य न्यायाधीश ने कहा, 'हम इन याचिकाकर्ताओं के कारण इतने सारे उम्मीदवारों के करियर को खतरे में नहीं डाल सकते'।
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े ने तर्क दिया कि उम्मीदवारों के लिए सुबह एक परीक्षा और दोपहर में दूसरी परीक्षा देना मुश्किल होगा।
पीठ ने याचिका को खारिज कर दिया और आदेश दिया कि हम इस पर विचार नहीं कर रहे हैं।
बता दें कि मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए नीट-पीजी प्रवेश परीक्षा शुरू में 23 जून को आयोजित होने वाली थी। कुछ प्रतियोगी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे एहतियाती उपाय के रूप में स्थगित कर दिया था। फिर 31 जुलाई को नीट पीजी शहरों की घोषणा किए जाने के बाद 4 अगस्त को संशोधित शहर पर्चियों का एक और सेट जारी किया गया था।
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