लखीमपुर खीरी की घटना के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने फिर से उत्तर प्रदेश सरकार पर टिप्पणी की। अदालत ने साफ कहा कि वह यूपी सरकार की कार्रवाई से संतुष्ट नहीं है।
सीजेआई एनवी रमना ने यूपी सरकार से कहा, “हमें नहीं लगता कि जो अफ़सर इस मामले में काम कर रहे हैं, उनके रहते जांच हो पाएगी। डीजीपी को निर्देश दीजिए कि सभी सबूतों को सुरक्षित रखा जाए।”
जस्टिस जे. सूर्यकांत ने कहा कि चाहे इस घटना में कोई भी शामिल हो, क़ानून को अपना काम करना चाहिए। सीजेआई ने कहा, “हम क्या संदेश दे रहे हैं, सामान्य हालात में अगर 302 का मुक़दमा दर्ज होता है तो पुलिस क्या करती है। जाइए और अभियुक्त को गिरफ़्तार कीजिए। हमें लगता है कि सिर्फ़ जुबानी बात हो रही है और कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।”
सुनवाई के दौरान सीजेआई रमना ने कहा, “जब 302 की धारा लगी हो तो अभियुक्त के साथ कैसा बर्ताव किया जाना चाहिए। ऐसे नोटिस भेजे जाएं कि कृपया आइए, कृपया हमें बताइए। अभियुक्त के साथ वैसा ही बर्ताव कीजिए जैसा हम बाक़ी मामलों में दूसरों के साथ करते हैं। इस तरह नहीं कि हमने नोटिस भेजा है कि कृपया आइए।”
गुरूवार की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार से इस मामले में स्टेटस रिपोर्ट मांगी थी। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना है और यूपी सरकार से पूछा था कि आपने अब तक कितने लोगों को गिरफ़्तार किया है।
सीजेआई ने कहा, “हमने एसआईटी के बारे में जानकारी ली है। डीआईजी, एसपी, सर्किल अफ़सर, ये सभी स्थानीय लोग हैं। जब सारे लोग स्थानीय हों, तब ऐसा ही होता है।” सीजेआई ने राज्य सरकार द्वारा इस मामले में जिस तरह काम किया जा रहा है, उसे लेकर आशंका व्यक्त की।
सीजेआई ने कहा कि अब हम इस मामले को छुट्टियों के बाद सुनेंगे।
सरकार और पुलिस नाकाम
सुप्रीम कोर्ट की लगातार टिप्पणियों के बाद भी ऐसा नहीं लगता कि यूपी सरकार को कोई फर्क पड़ा हो। घटना के इतने दिन बीत जाने के बाद भी वह आशीष मिश्रा तक पहुंचने से हिचक रही है। विपक्ष के साथ ही आम लोग भी सोशल मीडिया पर यूपी सरकार की लानत-मलानत कर रहे हैं लेकिन न जाने उत्तर प्रदेश की सरकार और पुलिस किसके दबाव में है कि मीडिया को बाइट देते घूम रहे एक शख़्स को जिस पर 302 का मुक़दमा दर्ज हो, उसके गिरेबां पर हाथ डालने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
शीर्ष अदालत ने साफ-साफ कहा है कि अभियुक्त को गिरफ़्तार किया जाए लेकिन पुलिस असहाय बनी हुई है। किसानों को रौंदे जाने के वीडियो सोशल मीडिया के जरिये दुनिया तक पहुंच गए हैं। ऐसे हालात में उत्तर प्रदेश सरकार से यह उम्मीद क़तई नहीं की जा सकती कि वह लखीमपुर खीरी के किसानों को इंसाफ़ दिला पाएगी।
क्योंकि न तो केंद्र सरकार अपने मंत्री का इस्तीफ़ा लेने को तैयार है और न ही यूपी सरकार मंत्री के बेटे और अभियुक्त को गिरफ़्तार करने के लिए। ऐसे में पीड़ित किसान परिवारों को इंसाफ़ कैसे मिलेगा, यह सबसे बड़ा सवाल है।
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कहां हैं आशीष मिश्रा?
केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा को पूछताछ के लिए शुक्रवार को बुलाया गया था। लेकिन वह पुलिस के सामने हाज़िर नहीं हुए। उत्तर प्रदेश पुलिस ने गुरूवार को आशीष मिश्रा को समन भेजकर कहा था कि वे पूछताछ के लिए शुक्रवार सुबह 10 बजे हाज़िर हों। पुलिस ने केंद्रीय मंत्री के घर के बाहर नोटिस भी चिपकाया था।
ऐसे बर्बर कांड में जिसमें किसानों को रौंद दिया गया हो, जिस अभियुक्त के ख़िलाफ़ हत्या की एफ़आईआर दर्ज हो, उसका इतने दिनों तक आज़ाद घूमना पुलिस के कामकाज पर ढेरों सवाल खड़े करता है।
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