इस पोस्टर से शर्मनाक क्या हो सकता है? मनीष गुप्ता की हत्या के बाद मुआवज़े का आभार जताने के लिए जिन लोगों ने यह पोस्टर लगाए हैं उन्हें सोचना चाहिए कि वे समाज और इंसानियत का क्या हाल कर रहे हैं? क्या सत्ता और समृद्धि से संपन्न वैश्य समाज की ये हालत हो गई कि चालीस लाख के मुआवज़े के लिए विधायक और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट कर रहे हैं? इससे ज़्यादा तो वैश्य समाज बीजेपी को चंदा देता होगा। वैश्य समाज ने बीजेपी को शुरू से आर्थिक मदद की है। उसकी गिनती कुछ सौ करोड़ में भी नहीं हो सकती। उस समाज के लोग समाज के नाम पर चालीस लाख के मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री को आभार दे रहे हैं और पोस्टर लगा रहे हैं?