इस पोस्टर से शर्मनाक क्या हो सकता है? मनीष गुप्ता की हत्या के बाद मुआवज़े का आभार जताने के लिए जिन लोगों ने यह पोस्टर लगाए हैं उन्हें सोचना चाहिए कि वे समाज और इंसानियत का क्या हाल कर रहे हैं? क्या सत्ता और समृद्धि से संपन्न वैश्य समाज की ये हालत हो गई कि चालीस लाख के मुआवज़े के लिए विधायक और मुख्यमंत्री का आभार प्रकट कर रहे हैं? इससे ज़्यादा तो वैश्य समाज बीजेपी को चंदा देता होगा। वैश्य समाज ने बीजेपी को शुरू से आर्थिक मदद की है। उसकी गिनती कुछ सौ करोड़ में भी नहीं हो सकती। उस समाज के लोग समाज के नाम पर चालीस लाख के मुआवजे के लिए मुख्यमंत्री को आभार दे रहे हैं और पोस्टर लगा रहे हैं?
तो अब हत्या के बाद मुआवज़े के धन्यवाद के पोस्टर लगेंगे?
- विचार
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- 8 Oct, 2021

कौन लोग हैं जो अपना चेहरा लगाकर मनीष गुप्ता की हत्या पर मुआवज़ा देने की घोषणा पर मुख्यमंत्री का आभार प्रकट कर रहे हैं? हम कहाँ आ गए हैं? क्या हमने वाक़ई सोचना समझना बंद कर दिया है? अपनी सोच समाज और धर्म के नाम पर बने इन संगठनों के यहाँ गिरवी रख दी है?
रवीश कुमार एनडीटीवी में वरिष्ठ पत्रकार हैं। वह देश-दुनिया से जुड़े विषयों पर अपनी बेबाक राय के लिए जाने जाते हैं।