सुप्रीम कोर्ट ने दो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। एक दिन पहले ही 2023 कानून के तहत ज्ञानेश कुमार और सुखबीर सिंह संधू की नियुक्ति की गई है। चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को बाहर रखा गया था। इसी को लेकर दोनों आयुक्तों की नियुक्ति को चुनौती दी गई। कोर्ट इस मामले पर गुरुवार को सुनवाई करेगा।
दोनों नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने कहा कि आम तौर पर हम अंतरिम आदेश के जरिए किसी कानून पर रोक नहीं लगाते हैं।
फरवरी में अनूप चंद्र पांडे की सेवानिवृत्ति और पिछले सप्ताह अरुण गोयल के आश्चर्यजनक इस्तीफे के बाद दो नए चुनाव आयुक्तों को एक दिन पहले ही नियुक्त किया गया है। ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू के नामांकन को चुनावी और राजनीतिक सुधारों पर काम करने वाले एक संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी एडीआर ने चुनौती दी है।
एडीआर ने ही चुनावी बॉन्ड मामले में शीर्ष अदालत में याचिका भी दायर की थी। एडीआर ने मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को चयन पैनल से बाहर करने के फैसले को चुनौती देते हुए दो नियुक्तियों पर रोक लगाने की मांग की थी।
ज्ञानेश कुमार फरवरी में सहकारिता मंत्रालय के सचिव के पद से सेवानिवृत्त हुए, जबकि सुखबीर सिंह संधू उत्तराखंड सरकार के पूर्व मुख्य सचिव थे। 1988 बैच के आईएएस अधिकारी संधू 31 जनवरी 2024 को मुख्य सचिव पद से सेवानिवृत्त हुए।
17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को समाप्त होने वाला है। आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः 11 जून, 2 जून, 24 जून और 2 जून को समाप्त होगा। महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में इस साल के अंत में मतदान होना है। राज्य का दर्जा बहाल करने की दिशा में पहले कदम के रूप में 30 सितंबर तक विधानसभा चुनाव कराने का निर्देश देने वाले सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुरूप, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में भी मतदान होना तय है।
पिछली बार चुनाव आयोग ने 10 मार्च, 2019 को चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी, जिसमें 11 अप्रैल से 19 मई तक सात चरणों में मतदान और 23 मई को वोटों की गिनती शामिल थी।
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