सुप्रीम कोर्ट ने इंटरनेट पर वाणी की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने की सरकारों की कोशिशों पर बेहद कड़ी चेतावनी दी है। सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना पर सुनवाई के दौरान कहा है कि इंटरनेट पर किसी भी नागरिक को अपनी तकलीफ़ों को बयान करने से न रोकें और अगर ऐसा हुआ तो उसे अदालत की अवमानना माना जायेगा। सर्वोच्च अदालत ने सभी राज्यों के पुलिस महानिदेशकों को सख़्त निर्देश दिये हैं।
इंटरनेट पर नागरिकों की तकलीफ़ों पर अंकुश लगाना अदालत की अवमानना - सुप्रीम कोर्ट
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- 29 Mar, 2025
सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना पर सुनवाई के दौरान कहा है कि इंटरनेट पर किसी भी नागरिक को अपनी तकलीफ़ों को बयान करने से न रोकें और अगर ऐसा हुआ तो उसे अदालत की अवमानना माना जायेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'मेरे लिये एक नागरिक और जज के रूप में ये बेहद चिंता का विषय है। अगर नागरिक अपनी तकलीफ़ों को सोशल मीडिया पर बयान करता है तो हम नहीं चाहते कि उसपर अंकुश लगाया जाये। हमें उनकी आवाज़ें सुननी चाहिये।'