दिल्ली में 2012 में हुए निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुना दिया है। कोर्ट ने दोषी अक्षय की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि फ़ैसले पर फिर से विचार करने के लिए कोई आधार नहीं है। जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस मामले में सुनवाई की। पीठ में जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना भी शामिल हैं। अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद निर्भया की मां ने कहा कि वह फ़ैसले से ख़ुश हैं। पीठ ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद दोपहर 1 बजे तक के लिए फ़ैसला सुरक्षित रख लिया था।
इससे पहले सुनवाई के दौरान दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने अदालत के सामने कई नये तथ्य रखे। उन्होंने कहा कि मीडिया के दबाव में, जनता के दबाव में और राजनीतिक दबाव में उनके मुवक्किल का दोष सिद्ध करने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने मुख्य गवाह अमरिंदर पांडे पर सवाल उठाया और कहा कि इस मामले में उनके द्वारा पेश किए गए सबूत और प्रस्तुतियां अविश्वसनीय हैं।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इस पुनर्विचार याचिका को खारिज किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस मामले में तुरंत फ़ैसला होना चाहिए और दोषी किसी भी तरह की सहानुभूति पाने का हकदार नहीं है, उसे मौत की सजा मिलनी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कांड मानवता के ख़िलाफ़ हमला था।
फ़ैसला आने के बाद वकील एपी सिंह ने कहा कि उनका केस सही है। उन्होंने कहा कि वह एक-दो दिन में क्यूरेटिव पिटीशन दाख़िल करेंगे। क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद वह दया याचिका दाख़िल करेंगे।
16 दिसंबर, 2012 को दिल्ली में चलती बस में निर्भया से छह लोगों ने सामूहिक बलात्कार किया था और 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौतहो गई थी। इस जघन्य कांड के मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने 11 मार्च, 2013 को तिहाड़ जेल में आत्महत्या कर ली थी। इस बस में अक्षय ठाकुर हेल्पर के रूप में काम करता था। अक्षय बलात्कार, हत्या और सबूत मिटाने का दोषी है। इसके अलावा जिम ट्रेनर विनय शर्मा, बस ड्राइवर मुकेश सिंह भी इस कांड में शामिल थे। एक और दोषी पवन गुप्ता फल की दुकान लगाता था।
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