ईडी मामलों में जमानत के नियम आसान हों या फिर सख़्त? सुप्रीम कोर्ट आख़िर क्या चाहता है? हाल में सुप्रीम कोर्ट बार-बार इस पर जोर देता रहा है कि 'बेल नियम है, जेल अपवाद'। यह हाईकोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक को यही संदेश देता रहा है। लेकिन इसी सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने ठीक इसके उलट फ़ैसला सुनाया है। ईडी से जुड़े एक मामले में पटना हाईकोर्ट द्वारा 'बेल नियम है, जेल अपवाद' के आधार पर दी गई जमानत को सुप्रीम कोर्ट की एक बेंच ने रद्द कर दिया और आरोपी को आत्मसमर्पण करने का निर्देश दे दिया।
सुप्रीम कोर्ट ईडी मामलों में जमानत का पक्षधर, तो नया फ़ैसला इसके उलट क्यों?
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- 14 Feb, 2025
सुप्रीम कोर्ट आमतौर पर ईडी मामलों में जमानत देने के पक्ष में रहा है, लेकिन जस्टिस बेला त्रिवेदी का हालिया फ़ैसला इसके विपरीत क्यों आया? जानिए इस फैसले के कानूनी और राजनीतिक मायने।

ईडी मामलों में जमानत के नियम को आसान बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट हाल में क्या कहता रहा है, यह जानने से पहले यह जान लें कि आख़िर ताज़ा मामला क्या है और सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने क्या कहा है। सुप्रीम कोर्ट की यह बेंच जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की है। उन्होंने गुरुवार को उच्च न्यायालय के आदेश को लापरवाहीपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि बिहार में कथित अवैध रेत खनन के मामले में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए जदयू एमएलसी राधा चरण साह के बेटे कन्हैया प्रसाद को जमानत देने में अदालत ने ग़लती की है, क्योंकि धन शोधन निवारण अधिनियम यानी पीएमएलए के तहत जमानत हासिल करने के लिए कठोर शर्तें पूरी नहीं की गई थीं।