हाई कोर्ट में जजों की नियुक्ति और तबादले पर सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम का फ़ैसला एक बार फिर विवादों में है। अब कॉलीजियम के उस फ़ैसले पर सवाल उठ रहे हैं जिसमें इसने सरकार की आपत्ति पर गुजरात के जस्टिस अकील कुरैशी से जुड़ी अपनी ही सिफ़ारिश को पलट दिया। अब इसने दूसरी सिफ़ारिश भेजी है। इस पर याचिका दायर की गई तो सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया कि कोर्ट में नियुक्ति और दाखिले के मामले में दखल इस न्यायिक संस्था के लिए ठीक नहीं होगा। कॉलीजियम ने विजया ताहिलरमानी के विवाद पर बयान जारी कर कहा था कि जजों के तबादले बेहतरी के लिए हैं और बदलाव संभव नहीं है। जस्टिस विजया ताहिलरमानी को मद्रास हाई कोर्ट से अपेक्षाकृत छोटे मेघालय हाई कोर्ट में भेजा गया था। इस फ़ैसले पर सुप्रीम कोर्ट के ही पूर्व जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने भी सवाल उठाए थे। अब जस्टिस अकील कुरैशी के मामले के बाद गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष यतिन ओझा ने आरोप लगाया है कि संदेश यह दिया जा रहा है कि यदि सत्ताधारी पार्टी के ‘ख़िलाफ़’ फ़ैसले देंगे तो इसके नतीजे भुगतने पड़ेंगे।
जस्टिस कुरैशी मुद्दा : सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने क्यों बदली अपनी ही सिफ़ारिश?
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- 23 Sep, 2019

सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम का फ़ैसला एक बार फिर विवादों में है। गुजरात के जस्टिस अकील कुरैशी के मामले में सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने अपनी ही सिफ़ारिशें क्यों बदलीं?
कॉलीजियम ने जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाई कोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफ़ारिश केंद्र सरकार से की थी। यह सिफ़ारिश 10 मई को की गयी थी। केंद्र सरकार ने इस पर आपत्ति की थी। अब सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने जस्टिस अकील कुरैशी को मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने के बजाए उन्हें त्रिपुरा हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफ़ारिश की है। मध्य प्रदेश का हाईकोर्ट देश के सबसे बड़े हाईकोर्ट में से एक है, जबकि त्रिपुरा हाईकोर्ट सबसे छोटा।