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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा, कोरोना टीका नीति से जुड़े नोटिंग्स दिखाओ

कोरोना नीति और इस महामारी से लड़ने की योजना या तौर-तरीकों और उपायों वगैरह को लेकर केंद्र सरकार पर पहले भी कई बार सवाल उठ चुके हैं। पर अब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा है कि वह कोरोना नीति से जुड़ी अपनी फ़ाइलों पर लिखे गए नोट्स पेश करे।

यह पहली बार हुआ है जब सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से किसी विषय पर उसकी फ़ाइलें दिखाने को कहा है।

जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस एल. एन. राव और जस्टिस एस. रवींद्र भट के खंडपीठ ने केंद्र सरकार से कहा, 'एफ़िडेविट जमा करते समय भारत सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह टीका नीति से जुड़े सभी फ़ैसले की फ़ाइलें और उन पर लगे नोटिंग्स लगाए।' बेंच ने यह भी कहा कि कोरोना टीका से जुड़े फ़ैसलों से जुड़ी फाइलों के कागज़ात नत्थी किए जाएं। 

इसके साथ ही अदालत ने दो सप्ताह में एफिडेविट जमा करने का निर्देश सरकार को दिया। 

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश

  • सर्वोच्च अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह कोरोना टीका की खरीद से जुड़ी हुई जानकारियाँ दे, सरकार विस्तार से बताए कि उसने कब, किससे और कितने कोरोना वैक्सीन खरीदने का ऑर्डर दिया था। अदालत ने सरकार से पूरा ब्योरा सौंपने को कहा।
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह विस्तार से बताए कि तीन चरणों के टीकाकरण के दौरान उसने कब कितने लोगों को पहली खुराक और कब कितने लोगों को दूसरी ख़ुराक दी।
  • इसके साथ ही सरकार यह भी बताए कि इन तीनों चरणों में कुल कितने लोगों को टीका दिया गया और यह कुल जनसंख्या का कितना प्रतिशत है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना टीका देने के लिए ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य करने पर भी केंद्र सरकार की खिंचाई की। इसकी वजह यह थी कि देश की आबादी का एक बड़ा तबका ऑनलाइन से परिचित नहीं है या उसे मोबाइल फोन या ऐप या कंप्यूटर तक पहुँच नहीं है, सवाल यह है कि वह तबका कैसे रजिस्ट्रेशन कराए और कैसे टीका ले। 
supreme court asks centre to show file notings on corona vaccine policy - Satya Hindi

'स्मेल द कॉफ़ी'

  • सर्वोच्च ने इस पर सरकार की खिंचाई करते हुए कहा, 'वेक अप एंड स्मेल द कॉफ़ी', यानी जगिए और अनुमान लगाइए कि आगे क्या होगा। कहने का मतलब यह कि सरकार को यह अनुमान होना चाहिए कि डिजिटल डिवाइड की वजह से बहुत से लोग ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएंगे।
  • सर्वोच्च अदालत ने यह भी कहा कि टीका देने की प्रक्रिया इतनी लचीली होनी चाहिए कि जिनके पते बदल गए हों उन्हें भी टीका मिल जाए। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से इस पर भी सफाई माँगी कि विदेशी टीका निर्माता सीधे राज्यों और केद्र-शासित क्षेत्रों से टीका देने पर बात नहीं करना चाहते और वे सीधे केंद्र सरकार से बात करना चाहते हैं तो इस पर सरकार का क्या कहना है। 
  • अदालत ने यह भी कहा कि क्या सरकार एकमुश्त कोरोना टीका खरीदने पर कीमत को लेकर इन कंपनियों से बात कर सकती है और अपने एकाधिकार का इस्तेमाल कर कीमत कम करवा सकती है, इस पर उसका क्या कहना है, यह बताए। 
  • सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से यह भी पूछा है कि क्या वह ऐसे कुछ टीकाकरण केंद्र बना सकती है, जहाँ पहले से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं होगी और वहाँ जाने के बाद भी रजिस्ट्रेशन करवा कर उसी समय टीका लगवाया जा सकता है?
supreme court asks centre to show file notings on corona vaccine policy - Satya Hindi

कोर्ट की टिप्पणियाँ

  • सुप्रीम कोर्ट ने इसके अलावा कुछ कड़ी टिप्पणियाँ भी की हैं और केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है।
  • सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि 18-44 की उम्र के बीच के लोगों को भी कोरोना टीका की वैसी ही ज़रूरत है जैसे 45 वर्ष और उससे 1अधिक उम्र के लोगों क। ऐसे में 45 से ऊपर के लोगों को मुफ्त कोरोना टीका देना और 18-44 के लोगों से इसके लिए पैसे लेना 'अतार्किक' और 'मनमर्जी' है।
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि नीतिगत फ़ैसले करना सरकार के अधिकार क्षेत्र में है, लेकिन उसकी न्यायिक समीक्षा करने का हक न्यायपालिका को है।
  • अदालत ने इस पर संदेह जताया है कि कोरोना टीका उत्पादन का 50 प्रतिशत राज्यों और निजी क्षेत्र के लिए छोड़ देने से टीका उत्पादन के लिए वैक्सीन बनाने वाली कंपनियों में प्रतिस्पर्द्धा होगी और टीके की कीमत कम हो जाएगी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने टीके की कीमत पर भी सरकार की नीति पर आपत्ति की है। उसने कहा है कि सरकार कोरोना वैक्सीन की कीमत अलग-अलग रखने का तर्क यह कह कर देती है कि उसे कम कीमत पर टीका इसलिए मिल रहा है कि उसने एकमुश्त बड़ा ऑर्डर दे दिया था। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया है कि इसी तरह केंद्र सरकार अकेले ही सभी टीका क्यों नहीं खरीद सकती है, जिससे उसे कम कीमत अदा करनी होती। 
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क़मर वहीद नक़वी
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