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प्रतीकात्मक तस्वीर

सेंट्रल फोर्स की तैनाती के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची पश्चिम बंगाल सरकार

पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को पंचायत चुनाव होने वाले हैं, लेकिन इससे पहले राज्य में कई जगहों पर हिंसा हो चुकी है। इसे रोकने के लिए कलकत्ता हाईकोर्ट ने 15 जून को संवेदनशील जिलों में सेंट्रल फोर्स की तैनाती करने का आदेश दिया था। अब इस आदेश के खिलाफ पश्चिम  बंगाल सरकार और वहां के  राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एमएम सुंदरेश की अवकाश पीठ सोमवार को इस याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार भी हो गयी है। अब सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका पर 20 जून को सुनवाई होगी। अब सबकी नजर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर है।

 कलकत्ता हाईकोर्ट ने दिया था सेंट्रल फोर्स तैनात करने का निर्देश 

ध्यान रहे कि भाजपा और कांग्रेस ने पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव से पहले हो रही हिंसा को देखते हुए दो याचिकाएं लगाई थीं। 15 जून को कलकत्ता हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शिवगणमन और जस्टिस उदय कुमार की खंडपीठ ने पंचायत चुनाव में सभी संवेदनशील जिलों में सेंट्रल फोर्स तैनात करने का निर्देश दिया था। पश्चिम बंगाल में  भाजपा और कांग्रेस समेत सभी विपक्षी दलों ने इस आदेश का स्वागत किया था। वहीं राज्य चुनाव आयोग ने कहा था कि संवेदनशील जगहों की पहचान करने में थोड़ा वक्त लगेगा। कोर्ट ने इस पर कहा कि अधिक समय लेने से केवल नुकसान होगा। कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ राज्य सरकार और राज्य चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का निर्णय लिया। इसके बाद अब 20 जून के सुनवाई होगी। 

राज्यपाल ने कहा कुछ इलाके में हिंसा और झड़प हुई है

पश्चिम बंगाल में पंचायत से पूर्व लगातार हिंसा की खबर आ रही है, लेकिन राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 16 जून को कहा था कि पंचायत चुनाव में  नामांकन शांतिपूर्वक हुआ है। वहीं  दो दिन पहले हिंसाग्रस्त इलाकों का दौरा करके लौटे राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने सोमवार को कहा कि मैं मुख्यमंत्री के बयान पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं। उनकी धारणा अलग हो सकती है। वह जनता द्वारा चुनी गई नेता हैं।लेकिन यह सच है कि कुछ इलाकों में हिंसा और झड़प हुई है। उन्होंने कहा कि मैं वहां गया था, मैनें लोगों से बात भी की है।

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क़मर वहीद नक़वी
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