एक नए शोध के निष्कर्षों से पता चला है कि कोरोना का 'डेल्टा' वैरिएंट दोनों वैक्सीन लगाए लोगों को संक्रमित कर सकता है। यह शोध INSACOG कंसोर्टियम, सीएसआईआर और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल के शोधकर्ताओं ने भारत में ही किया है। नये शोध के नतीजों से पता चलता है कि लोगों को वैक्सीन लगाने के साथ ही संक्रमण को फ़ैलने से रोकने और इसको नियंत्रित करने के लिए रणनीति की भी ज़रूरत है।
शोध से साफ़ है कि दोनों टीके लगाने के बाद भी यदि कोई लापरवाही बरतता है और मास्क लगाने व सोशल डिस्टेंसिंग जैसे नियमों का पालन नहीं करता है तो कोरोना संक्रमण का ख़तरा रहेगा।
यह शोध दिल्ली के दो अस्पतालों में किया गया है। हालाँकि इसमें यह भी पाया गया कि टीकाकरण संक्रमण की गंभीरता को रोकता है, लेकिन टीका लगाए लोगों के भी संक्रमित होने के मामले आए हैं। यह ख़तरा खासकर उन लोगों के लिए है जो बेहद कमजोर हैं।
शोधकर्ता इस नतीजे पर पहुँचने के लिए महामारी विज्ञान और वायरस के जीनोम सिक्वेंसिंग डाटा का विश्लेषण किया। विश्लेषण में यह भी पाया गया कि दोनों टीके लगाए संक्रमित लोगों से दूसरे लोगों में भी संक्रमण फैलता है।
तो सवाल उठता है कि क्या डेल्टा ही वह वजह है जिसके कारण दुनिया के कई देशों में कोरोना संक्रमण के मामले फिर से तेज़ी से बढ़ रहे हैं? वह भी उन देशों में जहाँ की बड़ी आबादी को दोनों टीके लगाए जा चुके हैं। स्पेन में वयस्क आबादी के 80 फ़ीसदी लोगों को दोनों खुराक लग गई है। इटली में 73 फ़ीसदी, नीदरलैंड्स में 73 फ़ीसदी, फ्रांस, यूके, जर्मनी व ऑस्ट्रिया में 64 फ़ीसदी से ज़्यादा आबादी को टीके लगाए जा चुके हैं। हालाँकि रूस इस मामले में पीछे है और उसकी वयस्क आबादी के सिर्फ़ 37 फ़ीसदी लोगों को ही टीके लगे हैं।
बता दें कि यूरोप में हर रोज़ क़रीब तीन लाख कोरोना संक्रमण के नये मामले सामने आ रहे हैं। हर रोज़ क़रीब 3400 लोगों की मौतें भी हो रही हैं। सिर्फ़ यूरोप में ही 65 लाख से ज़्यादा कोरोना के सक्रिय मामले हैं। इंग्लैंड में हर रोज़ 44 हज़ार से ज़्यादा मामले आ रहे हैं।
तो सवाल है कि डेल्टा वैरिएंट कितना ख़तरनाक है? यह इससे समझा जा सकता है कि भारत में कोरोना की दूसरी लहर के लिए डेल्टा को ही ज़िम्मेदार माना जाता है।
पिछले साल कोरोना की पहली लहर के धीमा पड़ने के दौरान ही कोरोना के जो नये-नये स्ट्रेन सामने आ रहे थे उसमें से एक बी.1.617 था। यह सबसे पहले भारत में मिला। इसे ट्रिपल म्यूटेंट वैरिएंट कहा गया क्योंकि यह फिर से तीन अलग-अलग रूप में- बी.1.617.1, बी.1.617.2 और बी.1.617.3 फैला। इसी में से बी.1.617.2 को डब्ल्यूएचओ ने डेल्टा नाम दिया है। अब तक कई देशों में इस वैरिएंट के मामले सामने आ चुके हैं।
अपनी राय बतायें