कोरोना के बढ़ते ख़तरे को देखते हुए अब फिर से मास्क पहनने पर जोर दिया जाने लगा है। हवाई अड्डों और विमानों में मास्क नहीं पहनने पर कार्रवाई करने को कहा गया है। नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए ने आज कहा कि जो यात्री नियमों का पालन करने से इनकार करते हैं, उन्हें उड़ान भरने से पहले उतार दिया जा सकता है या उन्हें 'अनरूली' यानी 'उद्दंड' यात्रियों के रूप में माना जा सकता है।
डीजीसीए के नए दिशानिर्देश दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा कोरोना सुरक्षा उपायों का पालन करने से इनकार करने वाले यात्रियों के खिलाफ सख्त आदेश देने के कुछ दिनों बाद आए हैं।
डीजीसीए का यह नया दिशा-निर्देश तब आया है जब आज ही कोरोना के मामलों में 40 फ़ीसदी बढ़ोतरी की रिपोर्ट आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक़, एक दिन में देश में 5233 नए मरीज सामने आए हैं। जबकि, एक दिन पहले 3741 मामले दर्ज किए गए थे। इसके साथ ही सक्रिय मरीजों की संख्या भी बढ़कर अब 28857 हो गई है।
महाराष्ट्र में मंगलवार को 1,881 मामले दर्ज किए गए जो पिछले दिन की तुलना में 81 प्रतिशत अधिक है। यह संख्या 18 फरवरी के बाद से सबसे ज़्यादा है।
मई के महीने के आख़िर में कोरोना के मामले बढ़ने लगे थे और जून में तो इसमें काफ़ी ज़्यादा तेज़ी दिखने लगी है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच नागरिक उड्डयन महानिदेशालय ने मास्क के इस्तेमाल को लेकर निर्देश दिया है। मास्क इस्तेमाल को सुनिश्चित कराने की ज़िम्मेदारी सीआईएसएफ़ के जवानों की होगी।
इसने अपने आदेश में कहा, "एयरलाइन यह सुनिश्चित करेगी कि यदि कोई यात्री बार-बार चेतावनी के बाद भी निर्देशों का पालन नहीं करता है, तो उसे प्रस्थान से पहले, यदि आवश्यक हो, तो विमान से उतार दिया जाना चाहिए। ...यदि विमान में सवार कोई यात्री मास्क पहनने से इनकार करता है या बार-बार चेतावनी देने के बाद भी यात्रियों के लिए COVID-19 प्रोटोकॉल का उल्लंघन करता है तो ऐसे यात्री को 'अनरुली पैसेंजर' (उद्दंड यात्री) माना जा सकता है।"
एयरपोर्ट संचालकों को अनाउंसमेंट और सर्विलांस बढ़ाने को कहा गया है। एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार डीजीसीए के आदेश में कहा गया है कि मास्क पहनने से इनकार करने के मामलों में जुर्माना लगाया जा सकता है या यात्रियों को क़ानून के अनुसार कार्रवाई करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सौंपा जा सकता है।
बता दें कि अदालत ने भी बिल्कुल ऐसा ही करने के लिए पहले कहा था। यह देखते हुए कि महामारी अभी ख़त्म नहीं हुई है, 3 जून के अपने आदेश में अदालत ने सख्त कार्रवाई करने को कहा। कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि यात्री रिमाइंडर के बावजूद प्रोटोकॉल का पालन करने से इनकार करता है तो स्वास्थ्य मंत्रालय या डीजीसीए के दिशानिर्देशों के तहत कार्रवाई की जानी चाहिए।
अदालत ने कहा था कि ऐसे यात्रियों को उतारा जा सकता है, 'नो-फ्लाई' सूची में डाल दिया जा सकता है या आगे की कार्रवाई के लिए सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिया जा सकता है। अदालत ने एक घरेलू उड़ान में उच्च न्यायालय के मौजूदा न्यायाधीश के अनुभव के आधार पर दायर एक याचिका पर यह कहा था।
अदालत ने कहा था, 'उक्त आदेश जारी करना, हमारे विचार में सही कदम है क्योंकि महामारी ख़त्म नहीं हुई है।'
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