धरने के विरोध में याचिकाएं दायर होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने मध्यस्थों को नियुक्त किया था और प्रदर्शनकारियों से बातचीत करने के लिये भेजा था। बुधवार को भी मध्यस्थों ने प्रदर्शनकारियों से बातचीत की थी।
‘केस वापस जायेगा सुप्रीम कोर्ट’
गुरुवार को साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से कहा, ‘हम आपके मसलों को जानते हैं। आप नहीं चाहते कि दूसरे लोगों को तकलीफ़ हो और दूसरे लोग भी आपको तकलीफ़ नहीं देना चाहते। हमारा ईमान है कोशिश करना और पूरी कोशिश के बाद भी अगर बात नहीं बनती तो केस वापस सुप्रीम कोर्ट में जायेगा और तब हमारे पास कोई विकल्प नहीं रहेगा और फिर सरकार जो करना चाहेगी, उसे करना पड़ेगा।’ उन्होंने कहा, ‘हम चाहते हैं कि हमारी बहनें, दादियां इस बात को समझें क्योंकि ऐसी कोई समस्या नहीं है जिसका समाधान नहीं है।’
'हम हल निकालने आये हैं'
दूसरे मध्यस्थ संजय हेगड़े ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आपका प्रदर्शन करने का अधिकार बरक़रार रहे और प्रदर्शन करने की जगह ऐसी हो जिससे दूसरों को कोई परेशानी न हो। जब तक सुप्रीम कोर्ट है, तब तक आपकी सुनवाई कोई नहीं रोक सकता लेकिन यह मत सोचिएगा कि सुप्रीम कोर्ट आपकी बात नहीं सुन रहा है। हम यहां हल निकालने आये हैं।’बुधवार को मध्यस्थों से बातचीत के दौरान महिला प्रदर्शनकारियों ने साफ़ कहा था कि वे यहां से तभी हटेंगी जब नागरिकता क़ानून, एनआरसी और एनपीआर को वापस लिया जायेगा। साधना रामचंद्रन ने लोगों से कहा था, ‘सुप्रीम कोर्ट ने उनके विरोध-प्रदर्शन के अधिकार को बरकरार रखा है। लेकिन दूसरे लोगों के भी अधिकार हैं और उनके भी अधिकार बने रहने चाहिये।’ उन्होंने कहा था कि हमें मिलकर इस समस्या का हल ढूंढना होगा और हम ऐसा हल निकालेंगे जो दुनिया के लिये मिसाल बनेगा।
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