सु्प्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार विनोद दुआ की गिरफ़्तारी पर 6 जुलाई तक के लिए रोक लगा दी है। उन पर राजद्रोह का आरोप लगाया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को दुआ की याचिका पर ख़ास सुनवाई की। जस्टिस यू. यू. ललित, जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस एम. एम. शांतनगोदर के खंडपीठ ने सुनवाई के बाद मामले की जाँच करने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन अगली सुनवाई तक उनकी गिरफ़्तारी पर भी रोक लगा दी। इस वरिष्ठ पत्रकार ने राजद्रोह का मामला खारिज करने की अपील करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
अदालत से मिली राहत
बेंच ने हिमाचल प्रदेश सरकार से यह भी कहा कि जाँच से 24 घंटे पहले विनोद दुआ को इसकी जानकारी दी जानी चाहिए। अदालत ने इसके साथ ही केंद्र सरकार और हिमाचल सरकार को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में विनोद दुआ की याचिका पर विस्तृत जानकारी माँगी गई है।
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सर्वोच्च अदालत ने इन सरकारों को दो हफ़्तों में जवाब देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई 6 जुलाई को होगी।
आरोप क्या हैं?
बता दें कि दुआ के ख़िलाफ़ शिमला में राजद्रोह का मुक़दमा दर्ज किया गया है। यह मुक़दमा आईपीसी की धारा 124ए, 268, 505 और 501 के तहत दर्ज किया गया है। इस मामले में अजय श्याम नाम के व्यक्ति ने शिमला के कुमारसैन पुलिस स्टेशन में शिकायत दी थी।निशाने पर पत्रकार?
विनोद दुआ ने हाल में कहा था, 'प्रधानमंत्री दंतविहीन व्यक्ति हैं, जिनमें देश की समस्याओं से निपटने की क्षमता नहीं है।' इसके बाद उन पर हमले बढ़ गए हैं। उसके बाद ही उन पर मुक़दमा भी दर्ज किया गया है।दुआ के ख़िलाफ़ दर्ज एफ़आईआर को लेकर एडिटर्स गिल्ड ऑफ़ इंडिया ने आपत्ति दर्ज कराई थी और कहा था कि उन पर लगाए गए आरोप उनके बोलने की आज़ादी के संवैधानिक अधिकार पर हमला हैं।
हाल ही में मानवाधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार-स्तंभकार आकार पटेल के ख़िलाफ़ भी सिर्फ इसलिए मामला दर्ज किया गया है कि उन्होंने अमेरिका में चल रहे विरोध-प्रदर्शन की तरह ही भारत में भी प्रदर्शन करने की बात की।
आकार पटेल और विनोद दुआ पर इस तरह के मामले लादने के पीछे क्या वजह है? वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने पहले ही सत्य हिन्दी के लिए विश्लेषण किया था। आप भी देखें वह वीडियो।
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