न्याय का एक मूल सिद्धांत यह भी होता है कि भले ही गुनहगार बच जाए, लेकिन बेगुनाह को सज़ा नहीं मिलनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ इसी आधार पर जमानत और कैद को लेकर फ़ैसला दिया है। इसने कहा है कि जमानत को बढ़ावा देना चाहिए न कि जेल में कैद को। इसके साथ ही इसने इस पर चिंता जताई कि कई निर्देश देने के बावजूद निचली अदालतों द्वारा जमानत को प्रोत्साहित करने में अनिच्छा दिखी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसी अदालतों की मानसिकता बदलने की ज़रूरत है।
जमानत को बढ़ावा देना चाहिए, न कि जेल में कैद को: सुप्रीम कोर्ट
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- 17 Dec, 2021
सुप्रीम कोर्ट आख़िर इससे क्यों चिंतित है कि जहाँ निचली अदालतों में जमानत को बढ़ावा मिलना चाहिए वहाँ जेल की कैद को बढ़ावा मिल रहा है? आख़िर ऐसे मामले क्यों बढ़ रहे हैं?

शीर्ष अदालत ने कहा है कि यह देखते हुए कि अगर ज़मानत देने से इनकार करने के सैकड़ों कारण होते हैं तो जमानत देने के भी सैकड़ों कारण होते हैं।