मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को अब सुप्रीम कोर्ट से भी झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ जबरन वसूली के एक मामले में गिरफ्तारी से सुरक्षा देने से इनकार कर दिया है। अदालत ने कहा है कि वह उनकी याचिका पर तभी सुनवाई करेगी जब वह यह बताएँ कि वह वर्तमान में देश या दुनिया के किस हिस्से में हैं। एक दिन पहले ही यानी बुधवार को मुंबई की एक स्थानीय अदालत के फ़ैसले से उनको झटका लगा था। स्थानीय अदालत ने दो आरोपियों के साथ ही परमबीर सिंह को घोषित अपराधी क़रार दिया है। उससे पहले उनके ख़िलाफ़ कम से कम तीन मामलों में ग़ैर जमानती वारंट जारी किया जा चुका है।
स्थानीय अदालत के उस आदेश के बाद अब सुप्रीम कोर्ट का यह फ़ैसला आया है। परमबीर सिंह के वकील ने शीर्ष अदालत में याचिका लगाकर गुहार लगाई थी कि उनको गिरफ़्तारी से सुरक्षा प्रदान की जाए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'याचिकाकर्ता दुनिया के किस हिस्से में है? आप इस देश में हैं या बाहर? पहले मैं जानना चाहता हूँ कि आप कहां हैं।' कोर्ट ने परमबीर सिंह के वकील पर भी निशाना साधा जब उन्होंने तर्क दिया कि अगर उन्हें 'साँस लेने की अनुमति दी जाए तो वह छेद से बाहर निकल सकते हैं'।
जस्टिस एस के कौल ने कहा, 'सिस्टम में विश्वास की कमी को देखिए। वह पुलिस कमिश्नर थे, लेकिन हम उनके साथ कोई अलग व्यवहार नहीं करने जा रहे हैं। वह सुरक्षा मांग रहे हैं। क्या आप कह रहे हैं कि वह भारत तभी आएंगे जब अदालतें उनकी रक्षा करेंगी?'
उन्होंने कहा, 'आप सुरक्षात्मक आदेश मांग रहे हैं; कोई नहीं जानता कि आप कहां हैं। मान लीजिए कि आप विदेश में बैठे हैं और पावर ऑफ अटॉर्नी के माध्यम से क़ानूनी सहारा ले रहे हैं तो क्या होता है। यदि ऐसा होता है तो आप भारत आएंगे यदि अदालत आपके पक्ष में फ़ैसला करती है, तो हमें नहीं पता कि आपके मन में क्या है। जब तक हम नहीं जानते कि आप कहां हैं, तब तक कोई सुरक्षा नहीं है।'
इस मामले में अब अगली सुनवाई 22 नवंबर को होगी।
बता दें कि मुंबई पुलिस ने स्थानीय अदालत में पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को भगोड़ा अपराधी घोषित करने की अपील की थी। पुलिस ने इसके लिए दलील दी थी कि परमबीर सिंह फरार हैं और उनका पता नहीं चल सका है। पुलिस ने इसी मामले में परमबीर सिंह के अलावा दो अन्य आरोपियों- विनय सिंह और रियाज भाटी को भी भगोड़ा अपराधी घोषित करने की अपील की थी।
मुंबई पुलिस की अपील पर स्थानीय अदालत ने परमबीर सिंह को घोषित अपराधी क़रार दिया है।
शहर की पुलिस अब नोटिस को उनके ज्ञात पते पर चिपकाएगी और उन्हें 30 दिनों के भीतर उनके समक्ष पेश होने का निर्देश देते हुए समाचार पत्रों में विज्ञापन देगी। यदि वे उपस्थित नहीं होते हैं तो पुलिस उनकी संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया शुरू करेगी।
यह कार्रवाई उस मामले में हो रही है जिसमें एक होटल व्यवसायी बिमल अग्रवाल ने शिकायत दर्ज कराई थी। इसी के आधार पर गोरेगांव पुलिस ने परमबीर, रियाज भाटी, विनय सिंह, सुमित सिंह, अल्पेश पटेल पर केस दर्ज किया था। मुंबई पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को बर्खास्त कर दिया गया था। अग्रवाल ने आरोप लगाया था कि परमबीर सिंह ने वाजे के साथ मिलकर उनसे 11.92 लाख रुपये की नकदी और कीमती सामान की वसूली की थी। शुरुआत में गोरेगांव पुलिस स्टेशन में केस दर्ज किया गया था, जिसके बाद इसे अपराध शाखा में स्थानांतरित कर दिया गया था।
बता दें कि मजिस्ट्रेट अदालत ने पिछले महीने इस मामले में परमबीर सिंह सहित तीनों के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट जारी किया था। ठाणे की एक अदालत ने अक्टूबर में परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ ग़ैर ज़मानती वारंट भी जारी किया था। मरीन ड्राइव थाने में दर्ज वसूली के मामले में उनके ख़िलाफ़ पिछले सप्ताह तीसरी ग़ैर जमानती वारंट जारी किया गया था।
अपराध शाखा ने अपनी याचिका में कहा था कि सिंह के ख़िलाफ़ पिछले महीने जारी ग़ैर-जमानती वारंट का पालन करने के लिए अधिकारियों को प्रतिनियुक्त किया गया था। इसमें कहा गया है कि परमबीर सिंह और दो सह-आरोपियों के सभी ज्ञात आवासों पर टीमें भेजी गईं, लेकिन उनका पता नहीं चल सका।
परमबीर सिंह के ख़िलाफ़ इस समय मुंबई और ठाणे में 5 मामले दर्ज हैं। जिनमें ज़्यादातर मामले जबरन उगाही के हैं। मुंबई पुलिस और ठाणे पुलिस द्वारा परमबीर के ख़िलाफ़ लुकआउट नोटिस भी जारी किया जा चुका है।
बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे द्वारा पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर लगाए गए वसूली के आरोपों की जांच करने के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा गठित किए गए चांदीवाल आयोग द्वारा भी परमबीर सिंह को कई बार समन जारी किए गए लेकिन परमबीर ने आयोग के किसी भी समन का जवाब नहीं दिया।
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