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बम विस्फोट के हलफ़नामे पर क्यों चुप है RSS ? 

संघ परिवार पर बम विस्फोटों के संदर्भ में एक सनसनीखेज आरोप संघ के ही एक पूर्व कार्यकर्ता ने एक हलफनामे में लगाए हैं। द टेलीग्राफ अखबार ने इस आशय की एक खबर शुक्रवार को छापी है। द टेलीग्राफ के मुताबिक यह हलफनामा महाराष्ट्र के नांदेड़ में डिस्ट्रिक्ट और सेशन कोर्ट में 29 अगस्त, 2022 को संघ के पूर्व कार्यकर्ता यशवंत शिंदे ने दाखिल किया है। इस हलफनामे को ट्वीट करते हुए कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने आरएसएस से कहा है कि वो अपनी स्थिति इस पर स्पष्ट करे।
द टेलीग्राफ के मुताबिक सोशल मीडिया पर जो हलफनामा शेयर किया गया है, उसमें कहा गया है कि आरएसएस और उससे जुड़े बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद ने बम बनाने की ट्रेनिंग की व्यवस्था की। देश में कई स्थानों पर विस्फोट किए और इसका आरोप मुसलमानों पर लगाया गया। टेलीग्राफ में छपी खबर में ये दावा किया गया है कि इन विस्फोटों का फ़ायदा बीजेपी को 2014 के लोकसभा चुनावों में मिला। 
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कोलकाता से छपने वाले अख़बार द टेलीग्राफ के मुताबिक यशवंत शिंदे ने हलफनामे में  दावा किया कि वो 1990 में 18 साल की उम्र से आरएसएस से जुड़ा है। संघ के अलावा, वीएचपी और बजरंग दल में काम कर चुका है।  जब उन्होंने खबर पढ़ी की जम्मू कश्मीर में हिन्दुओं की हत्या हो रही है तो वो 1994 में जम्मू चले गए। वहां उनकी मुलाकात संघ के नेता इंद्रेश कुमार से हुई। इंद्रेश उन्हें राजौरी और जवाहर नगर के कैंपों में ले गए। फिर उन्हें संघ का कार्यकर्ता नियुक्त कर दिया गया। 
हलफनामे के मुताबिक यशवंत शिंदे को 1995 में फारूक अब्दुल्ला को मारने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बाद में उनकी जमानत हो गई और इस केस में 1998 में उन्हें बरी कर दिया गया। शिंदे इसके बाद 1999 में मुंबई लौट आए और उन्हें बजरंग दल का अध्यक्ष बनाया गया।
हलफनामे में इंद्रेश कुमार को कुछ ज्यादा ही टारगेट किया गया है। शिंदे के हलफनामे में दावा किया गया है कि इंद्रेश कुमार ने उनसे कुछ लड़कों की भर्ती करने और जम्मू ले जाने के लिए कहा। जहां उन लोगों को आधुनिक हथियारों के इस्तेमाल की ट्रेनिंग मिलने वाली थी। वीएचपी की राज्यस्तरीय बैठक ठाणे में हुई, जहां कुछ युवकों को जम्मू ट्रेनिंग कैंप के लिए चुना गया। ठाणे सम्मेलन में शिंदे और बाकी युवकों का परिचय वीएचपी के नेता हिमांशु पांसे से कराया गया। हिमांशु उनमें से 7 लड़कों और यशवंत शिंदे को जम्मू ले गए। वहां उन्हें हथियारों की ट्रेनिंग दी गई। 
द टेलीग्राफ की खबर में कहा गया है कि हलफनामे में बम बनाने वाले ट्रेनिंग कैंप का जिक्र है। जिसमें दो व्यक्तियों (वीएचपी नेता मिलिंद परांडे के करीबी सहयोगी) ने शिंदे को बताया कि कि बम बनाने की ट्रेनिंग जल्द ही शुरू होगी। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद उन लोगों को देशभर में बम विस्फोट करने की योजना के बारे में बताया जाएगा। इस प्रस्ताव पर यशवंत शिंदे चौंक गए लेकिन उन्होंने इसे किसी को महसूस नहीं होने दिया। अलबत्ता उन्होंने उस समय वीएचपी नेताओं से सवाल किया था कि  क्या यह 2004 के लोकसभा चुनाव की तैयारी है। उन लोगों ने कोई जवाब नहीं दिया।
हलफनामे में कहा गया है कि राकेश धवड़े खुद को 'मिथुन चक्रवर्ती' कहने वाले शख्स को ट्रेनिंग दिलाने के लिए लाते थे। लेकिन शिंदे को बाद में पता चला कि उस मिथुन चक्रवर्ती का असली नाम रवि देव था। शिंदे के मुताबिक धवड़े को बाद में मालेगांव 2008 ब्लास्ट केस में गिरफ्तार किया गया।
शिंदे ने अपने हलफनामे में कई अन्य लोगों की भागीदारी का जिक्र किया है। जिसमें बंगाल से तपन घोष और कर्नाटक के राम सेना के प्रमुख प्रमोद मुतालिक का नाम था। बता दें कि प्रमोद मुतालिक के खिलाफ बेंगलुरु में मॉरल पुलिसिंग के कई मामले दर्ज हैं। 
द टेलीग्राफ के मुताबिक शिंदे ने हलफनामे में यह भी दावा किया है कि उसने खुद वीएचपी की कई बम विस्फोट योजनाओं को नाकाम कर दिया, क्योंकि वो हिंसा का समर्थन नहीं करते हैं।
हलफनामे के मुताबिक 2004 तक यह सिलसिला चलता रहा लेकिन 2004 में कांग्रेस लोकसभा चुनाव जीतकर सत्ता में आ गई। तब वीएचपी नेता मिलिंद परांडे अंडरग्राउंड हो गए थे। शिंदे ने हलफनामे में आरोप लगाया है कि मिलिंद परांडे ने ही भूमिगत रहने के दौरान देश में बम विस्फोट कराए। पक्षपाती पुलिस और एकतरफा मीडिया के जरिए इन बम विस्फोटों का आरोप मुसलमानों पर लगा। खबर के मुताबिक़ हलफनामे में ये दावा किया गया है कि इस वजह से 2014 में बीजेपी को मदद मिली और वो केंद्र की सत्ता में आ गई।  

आरएसएस के प्रचारक यशवंत शिंदे ने एक हलफनामे में आरएसएस की राष्ट्र विरोधी गतिविधियों का भयानक विवरण दिया कि कैसे देश भर में बम विस्फोट करने की साजिश रची गई और इसमें कौन शामिल थे। इससे बड़ी ब्रेकिंग न्यूज और क्या हो सकती है?”


- पवन खेड़ा, कांग्रेस प्रवक्ता का बयान

कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने कहा कि शिंदे की जान को खतरा हो सकता है। मुंबई पुलिस कमिश्नर को उनकी सुरक्षा का इंतजाम करना चाहिए। द टेलीग्राफ ने इस बारे में विश्व हिंदू परिषद के महासचिव विनोद बंसल से बात की। बंसल ने कहा कि उन्हें ऐसे किसी भी हलफ़नामे की जानकारी नहीं है। लिहाज़ा उनके लिये टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। खबर लिखे जाने तक आरएसएस और संघ परिवार के दूसरे संगठनों की तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है। 
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क़मर वहीद नक़वी
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