loader

तमिलनाडु में RSS को रूट मार्च निकालने की इजाजतः सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु में आरएसएस को रूट मार्च निकालने की अनुमति दे दी है। इस सिलसिले में अदालत ने तमिलनाडु की डीएमके सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया है। डीएमके सरकार ने मद्रास हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें आरएसएस को राज्य में रूट मार्च निकालने की अनुमति दी गई थी। 

आरएसएस ने अक्टूबर 2022 में तमिलनाडु सरकार से 'आजादी का अमृत महोत्सव' और गांधी जयंती अवसर पर रूट मार्च या पथ संचलन की अनुमति मांगी थी। तब राज्य सरकार ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया था। राज्य सरकार के निर्णय के विरोध में आरएसएस ने मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। हाईकोर्ट ने कुछ प्रतिबंधों के साथ संघ को इसकी अनुमति दे दी थी। नवंबर 2022 में सुनवाई के दौरान सिंगल जज की बेंच ने आरएसएस के मार्च को घरों के अंदर या बंद स्थानों में अनुमति दी थी। 

ताजा ख़बरें

आरएसएस की तरफ पेश हुए सीनियर एडवोकेट महेश जेठमलानी ने पीएफआई से तुलना करने और उस आधार पर रूट मार्च पर प्रतिबंध लगाने के सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा था कि अनुच्छेद 19 (1)(बी) के तहत दिये गये बिना हथियारों के शांतिपूर्ण तरीके से एकत्रित होने और प्रदर्शन के अधिकार को कम नहीं किया जा सकता। 

जेठमलानी ने यह भी कहा कि इससे पहले जिन इलाकों से आरएसएस का रूट मार्च निकला उन इलाकों में किसी भी प्रकार की हिंसा की एक भी सूचना नहीं मिली, इसके उलट जहां आरएसएस के लोग शांति के साथ बैठकर प्रदर्शन कर रहे थे उन पर हमला किया गया। उन्होंने कुछ इलाकों में मार्च निकालने के लिए सरकार द्वारा आरएसएस पर लगाए गए प्रतिबंध पर इस आधार पर सवाल उठाया कि पीएफआई को भी हाल ही में प्रतिबंधित किया गया था।

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का पूरा ब्यौरा आना अभी बाकी है।
देश से और खबरें

संघ के रूट मार्च को लेकर तमिलनाडु में नाटकीय घटनाक्रम हो रहे हैं। तमिलनाडु पुलिस ने 6 नवंबर 2022 को 51 स्थानों पर आरएसएस को मार्च (पथ संचलन) निकालने की अनुमति दी थी। लेकिन संघ ने उस समय अपना पथ संचलन वापस ले लिया था। तमिलनाडु के डीजीपी ने सभी पुलिस कमिश्नरों और जिला पुलिस प्रमुखों को RSS को राज्यभर में 51 स्थानों पर अपने 'रूट मार्च' और जनसभाओं को आयोजित करने की अनुमति देने के लिए एक सर्कुलर जारी किया था। लेकिन पुलिस अधिकारियों से यह भी कहा गया है कि वे अपने इलाकों में 6 नवंबर को कानून व्यवस्था की स्थिति को ध्यान में रखते हुए इसकी अनुमति दें।

संघ ने 6 नवंबर को अनुमति मिलने के बाद भी अपना पथ संचलन वापस ले लिया, आखिर क्यों। दरअसल यह उसकी रणनीति थी। वो इस मामले में अधिकतम प्रचार पाना चाहती है। वो चाहती थी कि अदालत से फैसला आए। यहां गौर करने लायक बात है कि मद्रास हाईकोर्ट ने 6 नवंबर के बाद अपने फैसले में संघ को शांतिपूर्ण पथ संचलन की अनुमति दे दी थी। लेकिन तब डीएमके सरकार नहीं मानी। उसने मद्रास हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से आरएसएस ने बहुत बड़ी रणनीति खेली है। एक तो यह कि अब कोई विपक्ष शासित राज्य संघ के पथ संचलन को रोकने की हिम्मत नहीं करेगा। दूसरा यह कि संघ पर जिस तरह अशांति फैलाने के आरोप लगते रहते हैं, उसकी धार भी इस सुप्रीम आदेश से कमजोर होगी।   
सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

देश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें