जिन कृषि विधेयकों की मोदी सरकार और बीजेपी खुलकर हिमायत कर रही है, उन्हें इसे लेकर अपने मातृ संगठन यानी आरएसएस के किसान संगठन के विचार भी ज़रूर सुन लेने चाहिए। क्योंकि बीजेपी इस मसले पर न तो धूप और कोरोना महामारी के दौरान सड़कों पर बैठे किसानों की बात सुनने के लिए तैयार है और न ही अपनी सबसे पुरानी सहयोगी- शिरोमणि अकाली दल की।