प्रख्यात इतिहासकार और जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस रोमिला थापर ने कहा है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा सीवी यानी जीवन परिचय एक ‘मक़सद’ से माँगा गया है और इसे भाँपना कोई मुश्किल काम नहीं है। उन्होंने कहा कि प्रोफ़ेसर इमेरिटस से सीवी माँगे जाने की ज़रूरत ही नहीं होनी चाहिए। जेएनयू के प्रोफ़ेसरों ने भी प्रशासन की इस कार्रवाई को ‘राजनीति से प्रेरित’ बताया है। फ़ैकल्टी मेंबरों ने कहा है कि एक बार चुने जाने के बाद इस पद पर शिक्षक जीवन भर बना रहता है। बता दें कि रोमिला थापर जेएनयू प्रशासन के हाल के उसके काम करने के तरीक़े से असहमत रही हैं और मुखर होकर आवाज़ उठाती रही हैं। वह मोदी सरकार की नीतियों की भी आलोचक रही हैं।
मुझसे सीवी माँगने के पीछे एक ‘मक़सद’ : रोमिला थापर
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- 2 Sep, 2019
प्रख्यात इतिहासकार और जेएनयू में प्रोफ़ेसर इमेरिटस रोमिला थापर ने कहा है कि जेएनयू प्रशासन द्वारा सीवी यानी जीवन परिचय एक ‘मक़सद’ से माँगा गया है और इसे भाँपना कोई मुश्किल काम नहीं है।

यह विवाद तब उठा जब अंग्रेज़ी अख़बार ‘द टेलीग्राफ़’ ने इस पर रिपोर्ट छापी जिसमें जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने पिछले महीने रोमिला थापर को पत्र लिखकर उनसे सीवी जमा करने को कहा था। वह भी तब जब जेएनयू के आधिकारिक वेबसाइट पर रोमिला थापर की सीवी पहले से ही पड़ी हुई है। ‘द क्विंट’ ने रोमिला थापर से बातचीत के आधार पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। इसमें उन्होंने कहा है कि विश्वविद्यालय की एक वेबसाइट है और इस पर उन सभी संकाय सदस्यों के बारे में अप-टू-डेट जानकारी रहती है जो अभी भी जीवित हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं मानती हूँ कि उनके पास सारी जानकारी है।’