भारत सरकार की नैशनल मॉन्यूमेंट्स अथॉरिटी (एनएमए) ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से कहा है कि कुतुब मीनार कैंपस से दो गणेश मूर्तियों को हटाने के लिए कहा है। एनएमए का कहना है कि कुतुब मीनार परिसर में मूर्तियों की स्थापना अपमानजनक है। उन्हें राष्ट्रीय संग्रहालय में ले जाएं। इंडियन एक्सप्रेस की खबर में कहा गया है कि पिछले महीने एएसआई को भेजे गए एक पत्र में, एनएमए ने कहा कि मूर्तियों को राष्ट्रीय संग्रहालय में "सम्मानजनक" स्थान मिलना चाहिए, जहां ऐसी प्राचीन वस्तुओं को रखने का इंतजाम है। बता दें कि एनएमए और एएसआई दोनों ही केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के तहत काम करते हैं। एनएमए की स्थापना 2011 में स्मारकों और स्थलों और इसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा और संरक्षण के लिए की गई थी।
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एएसआई अधिकारी टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं हो सके। एनएमए प्रमुख तरुण विजय, जो बीजेपी नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद हैं, ने पुष्टि की है कि पत्र भेजा गया था। मैंने कई बार साइट का दौरा किया और महसूस किया कि वहां मूर्तियों का होना अपमानजनक है। वहां मस्जिद है लोग वहां मूर्तियों के पास चप्पल वगैरह उतारते हैं।तरुण विजय ने कहा कि आजादी के बाद, हमने इंडिया गेट से ब्रिटिश राजाओं और रानियों की मूर्तियों को हटा दिया, और उपनिवेशवाद के निशान मिटाने के लिए सड़कों के नाम बदल दिए गए। अब हमें उस सांस्कृतिक नरसंहार को पलटने के लिए काम करना चाहिए जिसका सामना हिंदुओं ने मुगल शासकों के समय किया था।
कुतुब मीनार एक अंतरराष्ट्रीय हेरिटेज साइट है। जिसे 1993 में यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल घोषित किया था। कुतुब मीनार 12वीं शताब्दी का स्मारक है।
एक गणेश मूर्ति परिसर के कुव्वत उल इस्लाम मस्जिद की साउथ फेसिंग दीवार का हिस्सा है। लोहे के पिंजरे में बंद दूसरी मूर्ति नीचे रखी है और उसी मस्जिद का हिस्सा है।
तरुण विजय ने कहा इन मूर्तियों को जैन तीर्थंकरों और दशावतार, नवग्रहों के अलावा, राजा अनंगपाल तोमर द्वारा निर्मित 27 जैन और हिंदू मंदिरों को ध्वस्त करने के बाद लगाया गया था ... जिस तरह से इन मूर्तियों को रखा गया है वह भारत के लिए अपमान की बात है और इसमें सुधार की जरूरत है।
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