ऐसे वक़्त में जब पूरा विश्व कोरोना संकट से जूझ रहा है, अगर रामदेव ने सचमुच महामारी की दवा खोज ली होती तो यह हमारे देश के लिए कितने बड़े गर्व की बात होती! हम सब बढ़-चढ़कर उसका ढिंढोरा पीटते, बल्कि प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति उसे लाँच करने के लिए आगे आते, उसको इतना प्रचारित करते कि दुनिया भर में भारत का डंका बजने लगता। पूरा विश्व खड़े होकर तालियाँ बजाकर वाह-वाह करता। आयुर्वेद का तो झंडा बुलंद हो जाता।
रामदेव! ऐसे फर्जी दावों से देश की छवि खराब होती है
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- 26 Jun, 2020

वैज्ञानिक स्तर पर प्रामाणिकता सिद्ध किए बग़ैर रामदेव ने कोरोना की दवा को पेश तो कर दिया, पर यह देश के लिए बेहद हानिकारक है। इससे दुनिया भर में भारत की बदनामी होती है, उसका मखौल उड़ता है। सरकार ने उसके प्रचार-प्रसार पर रोक तो लगा दी है, मगर क्या यह कार्रवाई काफी है? पेश है वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की टिप्पणी।