कांग्रेस नेता राहुल गांधी को अब बंगला खाली करना होगा। एक सांसद के रूप में उन्हें सौंपा गया तुगलक लेन बंगला खाली करने के लिए कहा गया है। सांसद पद जाने के बाद उन्हें बंगला खाली करने के लिए नोटिस दिया गया है। इसके लिए उन्हें एक महीने का समय दिया गया है। मानहानि के एक मामले में गुजरात की एक अदालत द्वारा दो साल की जेल की सजा के बाद संसद से उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया है। अयोग्य घोषित होने के दो दिन बाद ही बेदखली का नोटिस उन्हें दिया गया है।
पिछले हफ्ते लोकसभा सचिवालय ने उन्हें 2019 के आपराधिक मानहानि मामले में सूरत की एक अदालत द्वारा दो साल की जेल की सजा सुनाए जाने के बाद 23 मार्च को एक सांसद के रूप में अयोग्य घोषित कर दिया।
हालाँकि सूरत की अदालत ने तत्काल जमानत देते हुए राहुल को ऊपरी अदालत में अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया। लेकिन इस बीच लोकसभा सचिवालय से उनके अयोग्य होने की अधिसूचना जारी हो गई। 2013 में लिली थॉमस बनाम यूनियन ऑफ़ इंडिया मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फ़ैसला सुनाया था कि कोई भी सांसद, विधायक या एमएलसी जिसे अपराध का दोषी ठहराया जाता है और न्यूनतम 2 साल की जेल दी जाती है, तत्काल प्रभाव से सदन की सदस्यता खो देता है। तब अदालत ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 8(4) को रद्द कर दिया था, जिसने निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी सजा के खिलाफ अपील करने की अनुमति दी थी।
इस सजा के साथ ही राहुल गांधी आठ साल तक चुनाव नहीं लड़ पाएंगे, जब तक कि कोई उच्च न्यायालय उनकी दोषसिद्धि और सजा पर रोक नहीं लगाता।
हालाँकि, एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार राहुल गांधी की टीम ने कहा है कि उन्हें बंगला खाली करने का कोई नोटिस नहीं मिला है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि निष्कासन का मामला तकनीकी हो सकता है। राहुल गांधी को 'जेड-प्लस' सुरक्षा मिली है, ऐसे में वह सरकारी आवास के हकदार हैं।
पिछले महीने कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा था कि 1977 में भी उनके पास कोई मकान नहीं था, तब वे सिर्फ़ छह साल के थे और आज भी कहीं कोई घर नहीं है।
राहुल ने कहा था कि इलाहाबाद का पुश्तैनी मकान (आनंद भवन) भी उनका नहीं है, नई दिल्ली में तुग़लक़ लेन स्थित घर भी उनका अपना नहीं है। राहुल गांधी ने घोषणा की थी कि अब भारत की सड़कें ही उनका घर बनने वाली हैं।
बहरहाल, राहुल गांधी के इस पूरे मामले को लेकर कांग्रेस प्रदर्शन कर रही है और पूरा विपक्ष इस मुद्दे पर साथ आ गया है। संसद के अंदर और बाहर विपक्षी एकता का जबरदस्त प्रदर्शन सोमवार को दिखाई दिया। तृणमूल कांग्रेस भी आज पहली बार कांग्रेस के नेतृत्व वाली विपक्षी रणनीति बैठक में शामिल हुई। सांसद के रूप में राहुल गांधी की अयोग्यता के खिलाफ 'काली' पट्टी बांधकर विरोध-प्रदर्शन में भी भाग लिया।
शुरुआत कांग्रेस प्रमुख मल्लिकार्जुन खड़गे के दफ्तर में बैठक से हुई। टीएमसी के प्रसून बनर्जी और जवाहर सरकार रणनीति बैठक में शामिल हुए। ममता बनर्जी की पार्टी के स्टैंड में यह एक बड़े बदलाव का संकेत है। क्योंकि इसने पहले घोषणा की थी कि वो कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी बनाए रखेगी।
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