लॉकडाउन हटाने से पहले कोरोना संक्रमण का पता लगाने के लिए रोज़ाना कम से कम पाँच लाख टेस्ट होने चाहिये। रिज़र्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के साथ लंबी और ख़ास बातचीत में यह बात कही है।
राजन का कहना है कि दुनिया के बड़े संक्रमण विशेषज्ञों का मानना है संक्रमण की स्थिति जानने के लिये कम से कम इतने टेस्ट होने ज़रूरी है और इसके बाद ही यह फ़ैसला किया जाना चाहिये कि लॉकडाउन हटाया जा सकता है या नहीं।
रोज़ाना 20 लाख टेस्ट?
उन्होंने यह बात अमेरिका की आबादी के संदर्भ में कही है । उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में एक दिन में डेढ़ लाख टेस्ट हो रहे हैं, जबकि वहाँ संक्रामक रोगों के विशेषज्ञों का मानना है कि इस क्षमता को तीन गुना करने की ज़रूरत है, यानी 5 लाख टेस्ट प्रतिदिन हों तभी आप अर्थव्यवस्था को खोलने के बारे में सोचें। कुछ लोग तो 10 लाख तक टेस्ट करने की बात कर रहे हैं।’ राजन ने कहा,
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‘भारत की आबादी को देखते हुए हमें इसके चार गुना टेस्ट करने चाहिए। अगर आपको अमेरिका के स्तर पर पहुँचना है तो हमें 20 लाख टेस्ट रोज़ करने होंगे। लेकिन हम अभी सिर्फ 25-30 हजार टेस्ट ही कर पा रहे हैं।’
रघुराम राजन, पूर्व गवर्नर, भारती रिज़र्व बैंक
'पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ लॉकडाउन!'
रघुराम राजन ने साफ़ शब्दों में कहा कि लॉकडाउन पहली बार में पूरी तरह कामयाब नहीं हुआ। इसी से सवाल उठता है कि अगर इस बार खोल दिया तो कहीं तीसरे लॉकडाउन की जरूरत न पड़ जाए और इससे विश्वसनीयता पर आँच आएगी।लेकिन आरबीआई के इस पूर्व गवर्नर ने इसके साथ ही लॉकडाउन अब हटाने का समर्थन भी किया। उन्होंने कहा, ‘100 फ़ीसदी कामयाबी हासिल करना तो फ़िलहाल मुश्किल है। ऐसे में हम लॉकडाउन हटाने की शुरुआत करें और जहाँ भी केस दिखें, वहाँ आइसोलेट कर दें।’
रघुराम राजन ने इसकी वजह बताते हुए कहा कि लोगों की आजीविका फिर से शुरू करने के बारे में सोचना होगा।
मशहूर अर्थशास्त्री रघुराम राजन ने साफ़ शब्दोें में कहा कि लंबे समय के लिए लॉकडाउन लगा देना बहुत आसान है, लेकिन यह अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा नहीं है।
'ग़रीबों को पैसे दो'
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में काम कर चुके इस अर्थशास्त्री ने कहा कि खाने-पीने का ख़ुद इंतजाम करने की क्षमता जिन ग़रीबों के पास नहीं है, सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि सरकार को ग़रीबों के जन-धन खाते में तुरन्त सीधे पैसे डालने चाहिए ताकि वे खाने-पीने का इंतजाम कर सकें।
रघुराम राजन ने कहा कि इसके लिए तकरीबन 65,000 करोड़ रुपए की ज़रूरत होगी। उन्होंने कहा, ‘हमारी जीडीपी 200 लाख करोड़ की है, इसमें से 65,000 करोड़ निकालना बहुत बड़ी रकम नहीं है।’
महामारी के बाद बेरोज़गारी
रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि महामारी से निपटने के बाद बेरोज़गारी की बड़ी समस्या आने वाली है, उससे निपटना ज़रूरी है। उन्होंने कहा, ‘सीएमआईई के आंकड़े देखो तो पता चलता है कि कोरोना संकट के कारण क़रीब एक 10 करोड़ और लोग बेरोज़गार हो जाएँगे। 5 करोड़ लोगों की तो नौकरी जाएगी, करीब 6 करोड़ लोग श्रम बाज़ार से बाहर हो जाएँगे।’उन्होंने कहा कि जितना तेज़ी से हो सके, उतनी तेज़ी से अर्थव्यवस्था खोलनी चाहिए जिससे लोगों को नौकरियाँ मिलना शुरू हों।
रघुराम राजन ने संकट की इस घड़ी में सामाजिक समरसता बनाए रखने पर भी ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि लोगों को यह लगना चाहिए कि वे व्यवस्था का हिस्सा हैं। हम एक बंटा हुआ घर नहीं हो सकते।
बता दें कि बीते 24 घंटे में भारत में कोरोना संक्रमण के एक हज़ार से ज़्यादा मामले सामने आए हैं। इसके साथ ही इससे प्रभावित होने वालों की तादाद बढ़ कर 33,050 हो गई। अब तक इस रोग से 1,074 लोगों की मौत हो चुकी है। जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक़, दुनिया भर में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या दो लाख 25 हज़ार से ज़्यादा हो चुकी है। इसके साथ ही दुनिया भर में कम से कम 31 लाख लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं।
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