कोरोना संकट और लॉकडाउन के इस दौर में उत्तर प्रदेश में विपक्ष चुप्पी ओढ़े बैठा है। विपक्ष की जो कुछ भी थोड़ी बहुत भूमिका निभा रही हैं वो प्रियंका गाँधी दिल्ली में बैठ ट्विटर वार छेड़े हुए हैं। टीवी, अख़बारों से लेकर सोशल मीडिया तक योगी की कार्यकुशलता का गुणगान है। ऐसे में लगता है कि उत्तर प्रदेश में विपक्ष की भूमिका ख़ुद भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने संभाल ली है। रह रह कर विधायकों की ओर से सरकार पर हमले बोले जा रहे हैं। कुछ खुल कर सामने हैं तो बाक़ी दबी ज़ुबान में अपनी नाराज़गी ज़ाहिर कर रहे हैं। हफ्ते भर के अंदर सरकार व नेतृत्व के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने पर तीन विधायकों को कारण बताओ नोटिस दिया गया है।
आगरा में भाजपा के मेयर की चिट्ठी भीलवाड़ा की तर्ज पर प्रचारित किए गए आगरा मॉडल की धज्जियाँ उड़ाती है। बुधवार को ही महोबा के चरखारी से भाजपा विधायक ब्रजभूषण राजपूत का एक वीडियो वायरल हो गया जिसमें वह राजधानी के गोमतीनगर इलाक़े में एक मुसलिम सब्ज़ी विक्रेता को अपने मोहल्ले में न घुसने की धमकी दे रहे हैं।
प्रदेश के मंत्री लंबे अरसे से क्वॉरंटीन के हालात में हैं। उन्हें अपने घरों में रहने और कुछ भी न करने के निर्देश हैं। पार्टी स्तर पर और इक्का-दुक्का ख़बरों में सामूहिक नेतृत्व व उत्तरदायित्व का सवाल उठने पर प्रदेश सरकार ने मंत्रियों को कुछ काम तो सौंपा पर महज़ दिखावे के लिए। और तो और अब तो कोरोना से निपटने के लिए दी गयी विधायक निधि को वापस मांगते हुए कई सत्ताधारी दल के जनप्रतिनिधि पत्र लिख रहे हैं।
मज़ाक़ क्यों उड़ा रहे हैं भाजपा विधायक?
सीतापुर के विधायक राकेश राठौर ने सोशल मीडिया पर वायरल हुए अपने वक्तव्यों में कोरोना से निपटने के मोदी फ़ॉर्मूले की धज्जियाँ उड़ाईं तथा मज़ाक़ बनाया। राकेश राठौर यहीं नहीं रुके, उन्होंने मुख्यमंत्री कार्यालय से फ़ीडबैक के लिये किये गये फ़ोन का हास्यास्पद जवाब देकर रही-सही कसर पूरी कर दी।
आगरा के मेयर की चिट्ठी
आगरा के मेयर नवीन जैन, जिनका एक पत्र वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए लिखा है कि आप आगरा को वुहान बनाने से बचा लीजिये, जबकि कोरोना से निपटने में उसी आगरा मॉडल की प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर मीडिया ने की थी। बता दें कि वुहान चीन का शहर है, यहीं सबसे पहले कोरोना वायरस का मामला आया था और यह महामारी का केंद्र था।
नवीन जैन ने पत्र ने जो गंभीर आरोप लगाये उसको लेकर विपक्ष ऐसा उड़ा मानो उसको मुँह माँगी मुराद मिल गयी। उनके पत्र को लेकर कांग्रेस महासचिव व उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गाँधी वाड्रा तथा समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने योगी सरकार पर ज़ोरदार हमला बोला है।
तीसरा मामला जो चर्चित हुआ वह हरदोई के बीजेपी विधायक श्याम प्रकाश का है। उन्होंने कोरोना से लड़ने के लिए दी गई अपनी निधि का पैसा बाक़ायदा पत्र लिखकर वापस माँगा। इस पत्र के वायरल होते ही सनसनी मच गयी। ख़बर चली कि स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार की ख़बरों पर गोपामऊ के विधायक ने अपनी निधि द्वारा दी गयी रक़म वापस माँगी है, जिसमें कहा गया था कि कोरोना से बचाव के लिए अपने क्षेत्र में सेनेटाइजर और मास्क उपलब्ध कराने के लिए विधायक ने अपनी निधि से 25 लाख रुपए दिये थे। भ्रष्टाचार की शिकायतों पर विधायक ने अपने फंड के ख़र्च का हिसाब माँगा था। बताते हैं कि जब जवाब नहीं मिला तो पत्र लिखकर अपनी निधि के 25 लाख रुपये विधायक ने वापस माँग लिये।
इस बीच देवरिया से भाजपा विधायक सुरेश तिवारी का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह मुसलमानों से सामान न खरीदने की बात करते दिख रहे हैं। जब विधायक का वायरल वीडियो राष्ट्रीय समाचार चैनलों पर चला तब भाजपा का राष्ट्रीय नेतृत्व हरकत में आया। उसने राज्य इकाई को इस मुद्दे पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया। बुधवार को एक अन्य भाजपा विधायक ब्रजभूषण राजपूत का भी इसी तरह का वीडियो सामने आ गया है।
हफ्ते भर में तीन विधायकों को नोटिस
लगातार बढ़ रही अनुशासनहीनता, विधायकों के बेलगाम बोलों से होती किरकिरी के चलते बीते एक सप्ताह के भीतर 3 भाजपा विधायकों को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया है। अपनी ही सरकार के ख़िलाफ़ बोलने और बड़बोलेपन से संगठन में नाराज़गी थी जिसके बाद मंगलवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह के निर्देश पर पार्टी के प्रदेश महामंत्री व अनुशासन कमेटी के अध्यक्ष विद्यासागर सोनकर ने सीतापुर, देवरिया और हरदोई के विधायक को नोटिस जारी किया। आगरा के मेयर ने सफ़ाई देते हुए वीडियो जारी कर डैमेज कंट्रोल कर लिया लिहाज़ा वह नोटिस से बचे हुये हैं।
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