लोकसभा चुनाव 2019 से पहले भारत में सियासत का केंद्र बने राफ़ेल लड़ाकू विमान की ख़रीद के सौदे को लेकर एक नया घटनाक्रम हुआ है। फ़्रांस के एक ऑनलाइन पोर्टल मीडियापार्ट ने अपनी ताज़ा रिपोर्ट में बताया है कि फ़्रांस के एक जज को इस मामले में चल रही जांच के लिए नियुक्त किया गया है।
मीडियापार्ट ने अप्रैल महीने में कुछ रिपोर्ट्स छापकर दावा किया था कि भारत और फ़्रांस के बीच हुई इस डील में एक भारतीय बिचौलिया कंपनी शामिल थी और उसे 1 मिलियन यूरो (8.62 करोड़) रुपये दिए गए थे।
मीडियापार्ट ने ताज़ा रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में फ़्रांस की पब्लिक प्रोसीक्यूशन सर्विसेज (पीएनएफ़) की वित्तीय अपराध शाखा ने 14 जून से राफ़ेल लड़ाकू विमान की ख़रीद में हुए सौदे की जांच शुरू कर दी है।
एनजीओ शेरपा ने की शिकायत
मीडियापार्ट की रिपोर्ट्स के बाद ही इस मामले में जांच शुरू की गई है। ये रिपोर्ट्स सामने आने के बाद फ़्रांस के भ्रष्टाचार विरोधी एनजीओ शेरपा ने पेरिस के ट्रिब्यूनल में शिकायत दर्ज कराई और इसमें कहा कि राफ़ेल लड़ाकू विमान के सौदे में भ्रष्टाचार हुआ, मनी लॉन्ड्रिन्ग हुई, साथ ही पक्षपात होने के साथ ही टैक्स में भी छूट दी गई। मीडियापार्ट ने कहा है कि पीएनएफ़ की ओर से कहा गया है कि इस बार इन चारों अपराधों को ध्यान में रखते हुए जांच की जाएगी।
शेरपा की ओर से 2019 में भी शिकायत दर्ज कराई गई थी लेकिन पीएनएफ़ ने तब बिना जांच किए उसकी शिकायत को ख़ारिज कर दिया था। लेकिन अब दो साल बाद इस मामले में फिर से जांच शुरू की गई है। इसका कारण मीडियापार्ट की रिपोर्ट्स में मिली जानकारियां भी हैं, जिन्हें शेरपा ने अपनी शिकायत में शामिल किया है। यह जांच एक स्वतंत्र जज के द्वारा कराई जाएगी।
राफ़ेल मामले पर देखिए वीडियो-
शेरपा के वकील विलियम ने कहा है कि जांच से सच सामने आएगा और ऐसे लोगों की पहचान होगी जो इस कथित गड़बड़ी में शामिल हैं। हालांकि दसॉ एविशेएन लगातार इस बात से इनकार करती रही है कि इस मामले में कहीं भी कोई गड़बड़ी नहीं हुई है और उसने क़ानूनों के मुताबिक़ ही काम किया है।
मीडियापार्ट ने अपनी नई रिपोर्ट में कहा है कि राफ़ेल विमान बनाने वाली कंपनी दसॉ एविशेएन ने भारतीय कारोबारी अनिल अंबानी के साथ 26 मार्च, 2015 को पहले एमओयू पर दस्तख़त किए थे और इसके दो हफ़्ते बाद ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पेरिस आए थे और इसमें उन्होंने 126 राफ़ेल विमानों के पुराने सौदे को बदलकर 36 राफ़ेल लड़ाकू विमान ख़रीदने का नया सौदा किया था।
126 के बजाए 36 विमान
भारत और दसॉ एविशेएन के बीच 126 राफ़ेल लड़ाकू विमान के सौदे और इसे बनाने को लेकर बातचीत चल रही थी। लेकिन 10 अप्रैल, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने समझौते को रद्द करने का एलान कर दिया और कहा कि अब 36 विमान ही ख़रीदे जाएंगे। इसके बाद जून, 2015 में रक्षा मंत्रालय ने आधिकारिक तौर पर 126 लड़ाकू विमान खरीदने की निविदा वापस ले ली।
राहुल ने उठाया था मामला
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने राफ़ेल लड़ाकू विमान की ख़रीद में भ्रष्टाचार होने का दावा किया था और 2019 के चुनाव से पहले इस मामले में कई प्रेस कॉन्फ्रेन्स भी की थीं। उन्होंने चौकीदार चोर है का नारा भी दिया था। यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था और मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अगुवाई में बनी खंडपीठ ने लंबी सुनवाई की थी।
दिसंबर 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने कोर्ट की देखरेख में जांच कराने की मांग की याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि लड़ाकू जहाज़ की कीमत तय करना उसका काम नहीं है। फ़ैसले के ख़िलाफ़ शीर्ष अदालत में पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गई थीं लेकिन नवंबर, 2019 में कोर्ट ने तमाम याचिकाओं को खारिज कर दिया था।
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