पिछले दो महीनों से पंजाब और हरियाणा में खूंटा गाड़कर बैठे किसान दिल्ली के बॉर्डर पर आ चुके हैं। हरियाणा की बीजेपी सरकार और केंद्रीय गृह मंत्रालय के अंतर्गत काम करने वाली दिल्ली पुलिस के जुल्म-ओ-सितम से लड़ चुके किसान दिल्ली में आने के 5 रास्तों को जाम करने की तैयारी में हैं। इससे मोदी सरकार मुसीबत में फंस गई है। पिछले छह सालों में जांच एजेंसियों के दम पर विरोधियों की जुबान पकड़ने के आरोप झेल रही मोदी सरकार गुणा-गणित में लगी है कि कैसे इस मुसीबत से निकला जाए।
वैसे तो किसान बार-बार कह रहे हैं कि वे चार महीने का राशन साथ लेकर आए हैं और मांगें माने बिना यहां से नहीं हिलेंगे। कई राज्यों के किसानों का समर्थन मिलने और विपक्षी दलों के नेताओं के समर्थन के बाद वे बार-बार दिल्ली की ओर देखकर मूंछों को ताव दे रहे हैं। इससे दिल्ली की हुक़ूमत की मुश्किलें बढ़ रही हैं। लेकिन उसकी मुश्किलों में इज़ाफा कर रहा है, पंजाबी गायकों और कलाकारों का इस आंदोलन में उतरना।
दुनिया भर में जहां-जहां पंजाबी पहुंचे हैं, वहां-वहां तक फैन फॉलोइंग रखने वाले नामी गायक बब्बू मान इस आंदोलन को खुलकर सपोर्ट कर रहे हैं। बब्बू मान पहले भी किसानों के पक्ष में हक़ की आवाज़ उठाते रहे हैं और उनके गानों को इस आंदोलन में ख़ूब बजाया भी जा रहा है। बब्बू मान अपने फ़ेसबुक पेज पर लगातार इस आंदोलन के हक़ में आवाज़ उठा रहे हैं।
Jai Jawan Jai Kisan 🙏🏾
— DILJIT DOSANJH (@diljitdosanjh) November 29, 2020
Politics Na Karo Rab Da Vasta 🙏🏾 Masley Da Hall Karo Ji ..
KISAAN DESH DA ANN DAATA HAI JI.. 🙏🏾
DHARNE PAR BETHE PITA KO SARHADH PAR SHAHEED HUE BETE KI KHABAR JAB MILTI HAI TOH SHAID HUM AUR AAP WOH MEHSOOS BHI NAHI KAR SAKTEY 🙏🏾 pic.twitter.com/Ggn4YpbsBH
सबका पेट भरने वाला अन्नदाता किसान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है सभी उनका साथ दो , उनकी आवाज बनो ।राजनीति बाद में कर लेना पहले किसान के बेटे है किसान के घर जन्म लिया।अभी जमीर जिंदा है हमारा।।
— Bajrang Punia 🇮🇳 (@BajrangPunia) November 28, 2020
जय किसान🙏🏻🙏🏻🌾🌾 pic.twitter.com/hhicsLheKR
महिला पहलवान विनेश फोगाट ने ट्वीट कर कहा, ‘जय जवान, जय किसान, इन्हीं के दम पे ही तो है सारा हिंदुस्तान।’
इससे साफ है कि किसानों के आंदोलन को अच्छा सपोर्ट मिल रहा है। हालांकि मोदी सरकार लगातार कह रही है कि किसानों को गुमराह किया जा रहा है लेकिन किसानों की भी अपनी शंकाएं हैं। जिस तरह भारत में परंपरागत ढंग से खेती होती रही है, उसमें किसानों के अलावा आढ़तियों और मंडियों में काम करने वाले लाखों लोगों को रोज़गार मिलता है। किसानों को इसी बात का डर है कि सरकार के ये नए क़ानून मंडियों की व्यवस्था को ख़त्म कर देंगे। उनकी मांग है कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी को लेकर गारंटी दे। देखना होगा कि सरकार और किसानों के बीच यह गतिरोध कब ख़त्म होता है।
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