अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 यानी एससी/एसटी एक्ट फिर चर्चा में है। सुप्रीम कोर्ट के एक फ़ैसले की वजह से 2018 से 2020 तक यह क़ानून लगातार चर्चा में रहा था तो अब यह पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक फ़ैसले की वजह से है। हाई कोर्ट ने फ़ैसला दिया है कि फ़ोन कॉल के दौरान जाति-आधारित टिप्पणी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत अपराध नहीं बनती है। कोर्ट ने माना है कि फ़ोन कॉल पर जो कुछ कहा गया है वह पब्लिक व्यू यानी 'सार्वजनिक लोगों की नज़र' में नहीं है। यानी हाई कोर्ट का साफ़ मानना है कि निजी तौर पर फ़ोन पर कही गई बात सार्वजनिक जगह के दायरे में नहीं आती और इसलिए यह एससी/एसटी एक्ट के अंतर्गत नहीं आती है।