आशुतोष: प्रशांत जी, आपका बहुत-बहुत स्वागत है। अब आप कैसा महसूस कर रहे हैं- रिलीव्ड या विंडिकेटेड?

देश की सर्वोच्च अदालत ने आपराधिक अवमानना के मामले में दोषी ठहराए गए जाने-माने वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण पर सजा के रूप में 1 रुपये का जुर्माना लगाया है। इसके बाद प्रशांत भूषण ने कहा था कि वे यह फ़ाइन दे देंगे। प्रशांत भूषण से बात की वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष ने। पढ़िए-
प्रशांत: नॉट विंडिकेटेड, सर्टेनली रिलीव्ड। एक तरह से दुख भी हो रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जो कंटेंप्ट (अवमानना) की कार्रवाई की उससे अपनी छवि और धूमिल कर ली। जैसा मैंने बोला कि सुप्रीम कोर्ट कमजोर होता है तो हर नागरिक कमजोर होता है। स्ट्रांग (मजबूत) और इनडिपेंडेंट (स्वतंत्र) सुप्रीम कोर्ट की सबको ज़रूरत है। ये बहुत अनफॉर्च्युनेट (दुर्भाग्यपूर्ण) है कि इस प्रोसेस में सुप्रीम कोर्ट की इमेज को और झटका लगा। ये भी बहुत अनफॉर्च्युनेट है कि इतने विसियस जजमेंट मेरे ख़िलाफ़ दिये गये। आख़िर में एक रुपये जुर्माना लगाया लेकिन अगर आप जजमेंट पढ़ेंगे तो बहुत ही विसियस जजमेंट है।
आशुतोष : ऐसा आप क्यों कह रहे हैं कि विसियस जजमेंट है?
प्रशांत : उसमें बहुत कुछ बोला है। बार काउंसिल को भी बोला है। बार भी चाहे तो मुझे बार कर दे। ये जो जवाब दिया वो भी एग्रेवेशन ऑफ़ कंटेंप्ट है। प्रेस में जो बयान दिया वो भी एग्रेवेशन ऑफ़ कंटेंप्ट है। बहुत सारी बातें मेरे ख़िलाफ़ बोली हैं। जो कि हमलोग रिव्यू और रिट पिटिशन के द्वारा चैलेंज करेंगे।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।