मशहूर वकील प्रशांत भूषण ने अदालत की अवमानन मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करते हुए कहा है कि उन्होंने ज़ुर्माना भर दिया, इसका मतलब यह नहीं कि उन्होंने अदालत के फ़ैसले को स्वीकार कर लिया है।
प्रशान्त भूषण पर सुप्रीम कोर्ट ने एक रूपये का जुर्माना लगाया है । इस मामले के बाद देश में बहस शुरू हुयी है कि कितनी स्वतन्त्र है न्यायपालिका । प्रशांत भूषण से आशुतोष की ख़ास बातचीत ।Satya Hindi
प्रशांत भूषण अवमानना केस और सुप्रीम कोर्ट की न्याय प्रक्रिया पर क्या कह रहे हैं सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कण्डेय काटजू। वरिष्ठ पत्रकार विजय त्रिवेदी से जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने की है बेबाक बातचीत। Satya Hindi
बहस का विषय इस समय यह है कि प्रशांत भूषण अगर अपने आपको वास्तव में निर्दोष मानते हैं तो उन्हें बजाय एक रुपये का जुर्माना भरने के क्या तीन महीने का कारावास नहीं स्वीकार कर लेना चाहिए था?
प्रशांत को सुप्रीम कोर्ट ने एक रूपये की सजा सुनाई है । नहीं देने पर तीन महीने की जेल और तीन साल वकालत पर बैन । लीगल रिपोर्टर के विप्लव अवस्थी के साथ चर्चा में दिनेश द्विवेदी, वी शेखर और एस जी हसनैन।
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 1 रुपये का जुर्माना लगाए जाने के बाद वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर कहा है कि अदालत का फ़ैसला उन्हें मान्य है।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। लद्दाख: चीन में एक बार फिर भारत-चीन के सैनिकों में झड़प।अवमानना केस: SC ने प्रशांत भूषण पर 1 रु का जुर्माना लगाया
सुप्रीम कोर्ट की अवमानना को लेकर दोषी ठहराये गये वकील और सामाजिक कार्यकर्ता प्रशांत भूषण को अदालत ने सजा सुना दी है। भूषण पर अदालत ने एक रुपये का जुर्माना लगाया है।
सर्वोच्च न्यायालय की एक पीठ ने प्रशांत भूषण को बताया है कि अपनी ग़लती मान लेने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इस प्रसंग में, जैसा भारत में हर प्रसंग में करने का रिवाज है, न्यायमूर्ति ने महात्मा गाँधी का सहारा लिया।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।टाइम मैगजीन: बीजेपी नेता की हेट पोस्ट को FB ने नहीं हटाया।अवमानना केस: प्रशांत भूषण की सज़ा पर फैसला सोमवार को
सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायाधीश कुछ भी कहते रहें, उससे प्रशांत भूषण की छवि या प्रतिष्ठा पर कोई आँच नहीं आती। अगर इस मामले में किसी की छवि दाँव पर थी तो वह ख़ुद सर्वोच्च न्यायालय था।
प्रशांत भूषण दोषी माने जा चुके थे। सज़ा सुनाई जानी थी। पूरे साढ़े चार घंटे सुनवाई हुई, अटॉर्नी जनरल वेणुगाोपाल और वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने लंबी लंबी दलीलें दीं। लेकिन सुनवाई के बाद अदालत बिना सज़ा सुनाए उठ गई। आखिर क्यों? प्रशांत भूषण के सहयोगी स्वराज इंडिया अभियान के योगेंद्र यादव और कानून विशेषज्ञ अवीक साहा से आलोक जोशी की बातचीत।