कृषि विधेयकों को लेकर बढ़ते घमासान को देखकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ख़ुद मोर्चा संभालना पड़ रहा है। कुछ दिन पहले प्रधानमंत्री ने आगे आकर किसानों को समझाने की कोशिश की थी कि ये विधेयक उनके पक्ष में हैं। लेकिन उसके बाद भी जब हालात नहीं सुधरे और राज्यसभा से लेकर सड़क तक हंगामा होता रहा तो सोमवार को एक बार फिर प्रधानमंत्री इस मसले पर सामने आए।
इससे समझा जा सकता है कि सरकार इस मसले को लेकर कितनी गंभीर है। प्रधानमंत्री के अलावा बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा, तमाम केंद्रीय मंत्री और राज्य स्तर पर पार्टी कार्यकर्ता भी विधेयकों के पक्ष में माहौल बनाने में जुटे हैं।
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नए कृषि सुधारों ने किसान को ये आजादी दी है कि वो किसी को भी, कहीं पर भी अपनी फसल अपनी शर्तों पर बेच सकता है। उसे अगर मंडी में ज्यादा लाभ मिलेगा, तो वहां अपनी फसल बेचेगा। मंडी के अलावा कहीं और से ज्यादा लाभ मिल रहा होगा, तो वहां बेचने पर भी मनाही नहीं होगी।
किसानों को दिया भरोसा
बिहार के लिए कई चुनावी घोषणाएं करने के दौरान ही प्रधानमंत्री मोदी ने जोर देकर कहा, ‘मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि एमएसपी की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी। इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलता रहेगा।’
मोदी ने इन विधेयकों को लेकर उठ रहे तमाम सवालों का जवाब देते हुए कहा कि किसान के खेत की सुरक्षा, किसान को अच्छे बीज, खाद, इन सभी की जिम्मेदारी उसकी होगी, जो किसान से समझौता करेगा। उन्होंने कहा कि ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं। कृषि मंडियों में जैसे काम पहले होता था, वैसे ही अब भी होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कई जगह ये भी सवाल उठाया जा रहा है कि कृषि मंडियों का क्या होगा। उन्होंने इस सवाल के जवाब में कहा कि कृषि मंडियां कतई बंद नहीं होंगी।
मोदी ने इन विधेयकों की जोरदार हिमायत करते हुए पुराने क़ानूनों पर भी बात की। उन्होंने कहा कि हमारे देश में अब तक उपज बिक्री की जो व्यवस्था चली आ रही थी, जो कानून थे, उसने किसानों के हाथ-पांव बांधे हुए थे। मोदी ने कहा कि इन कानूनों की आड़ में देश में ऐसे ताकतवर गिरोह पैदा हो गए थे, जो किसानों की मजबूरी का फायदा उठा रहे थे। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ये कब तक चलता रहता?
एतिहासिक क़दम
मोदी ने किसानों से अपील की, ‘आप किसी भी तरह के भ्रम में मत पड़िए। इन लोगों से सावधान रहना ज़रूरी है, जिन्होंने दशकों तक देश पर राज किया वे लोग आज किसानों से झूठ बोल रहे हैं। ऐसे लोग बिचौलियों का साथ दे रहे हैं। किसानों की अपनी उपज कहीं पर भी, किसी को भी बेचने की आजादी देना एतिहासिक क़दम है।’
किसान आंदोलन पर देखिए, क्या कहते हैं वरिष्ठ पत्रकार शीतल पी. सिंह।
इससे पहले भी प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था कि इन विधेयकों ने हमारे अन्नदाता किसानों को अनेक बंधनों से मुक्ति दिलाई है, उन्हें आज़ाद किया है। प्रधानमंत्री ने किसानों के नुक़सान होने के सवालों को लेकर कहा था कि इन सुधारों से किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए और ज़्यादा विकल्प मिलेंगे और ज़्यादा अवसर मिलेंगे।
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